कि चाहत कितनी है तुम्हारे लिए दिल में, ज़ाहिर करने शब्दों का अभाव है ,
करके स्वीकार दे दो प्रेम अनुमति ,ये गुलाब नहीं...मेरा प्रेम प्रस्ताव है ।-
I am ritesh from cg
वैसे तो मैं कोई लेखक नहीं हूं पर शुरू से कुछ ना कुछ लिखने का शौक है... read more
मुख चंद्रमा ,अधर मृदु , यौवन संदल रहा विकीर्ण ।
कपोल लालिमा देख कुन्तल पयोधर ,सर्व इंद्रिय रहा शीर्ण ॥-
समंदर सी आंखों का मैंने गहराई...देखा है ² ,
शाखों सा लिपटे हुए जिस्मों जां अंगड़ाई...देखा है ,
सांसों में तपन , लबों पर आहें मौजूद-ओ-मयस्सर ² ,
आगोश में इक-दुजे के सिमटते परछाई...देखा है ,
सहमें से जज़्बात जो रह जाते तेरे निशा में अक्सर ² ,
रुख़्सार पर सुबह तलक होते उसे शरमाई...देखा है ,
और रहने दो यूं ही बुझा शमाओं को ख़्वाब गाहों में ² ,
तिरगी में बेफिक्र घुलता हमनवां आशनाई...देखा है ,
फूलों की फितरत खिल सहर रात बिखर जाने की ² ,
कि शब बाहों में खिलते हुए सहर मुरझाई.... देखा है ।-
कि मौसिम सा रखते हो मिजाज़ मेरे साहिर ² ,
कभी सांसों में गर्माहट तो कभी अपने जुल्फ़ों में छांव रखते हो ।-
दिन बीत जाने के बाद याद आई 🙇 ,
अच्छी नहीं है संग-दिल, ये तेरी रुसवाई 😒 ,
हम आठों पहर सिर्फ तुझे ही करते हैं याद 🙄 ,
तू क्यों ना करती सुबह के वक्त लेते हुए अंगड़ाई 🤷।-
जिसने जैसा समझा हमें ,
उसने वैसा वफ़ा किया ,
मन हुआ तो किया मोहब्बत ,
ना मन हुआ तो ख़फ़ा किया ,
जरूरतों पर अक्सर बटता रहा मैं ,
अपने ही तरीकों से सबने जफ़ा किया ,
कभी अपनाया, कभी गले लगाया ,
भर गया दिल , तो फिर दफ़ा किया ,
भूला कर सारी सब की चुभती बातें ,
फिर भी दर्द-ए-आह मैंने सफ़ा किया ।-