कर दो चादर लंबी, पसारने हैं पैर
पधारो श्याम हृदय में, पखारने हैं पैर-
कभी मौका मिले तो आओ मेरे गॉंव में।
बैठेंगे बातें करेंगे हम पीपल के छाँव में।
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प्रभु श्रीराम जैसे अपने मूलरूप में अयोध्या आज पधारी,
चहूॅं दिश है उजला सब कुछ, हर्षित जैसे हर नर-नारी...
कैसे करूं गुणगान प्रभू का, निशब्द से शाब्दिक हूं मैं अघारी,
शब्दकोश में बहुत कुछ है छिपा, का - का विचार बिचारी...
#जयश्रीराम
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द
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म्हारौ धोरा रो देश
पिया जी थे बैठया प्रदेश
किया देखु मै थारो भेष
म्हारी जिंदगी अब
ना रह्यो कुछ शेष
ढोला म्हारा पधारो थे धोरा रा देश-
माधव..
सखी झूलत कृष्ण कन्हाई,मन अटक्यो हिंडोले कोई झुलावो री,
हर आहट ह्र्दय तलाशे कृष्ण कन्हाई,झूलत हिय हिंडोले श्रीजी,
हे गोविंद..
श्री वल्लभ कृष्ण कन्हाई बस ग्यो नैना कजरा ऐसो री सखी री,
खोजू घड़ी घड़ी कैसी जागी श्रृंगी पिड़ पराई बरसे घनघोर सावन घटाए री सखी.. नैना दर्श प्यासी लालजी, ना याद आओ हमें इतना कन्हाई कि ह्र्दय पूछे हमेशा री, धड़कन किसके पास है चित्तचोर साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
अब उदयपुर कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रहा है,
नन्ही सी आंखों में प्यारे सपने जो संजोए जा रहे है।-
माधव..
सावन बरसे झूमे मनवा, कुँज झूले झुलावे मोरे चित्तचोर सखी,
धीरे झूलो कुंजबिहरी पवन करे शोर, मन मयूरा नाचे छमाछम,
हे गोविंद..
मन घबराये मोरा बहे पूरवैया, मोहन झूला डाल्यो कदम्ब छैयां,
मोहन डरलागे कारी अंधियारी घटा घनघोर, मोहन धीरे दो पिंग, धीरे झूलावो श्रीराधेजू पवन करे शोर साँवरे सरकार..
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अपने शहर से भी मुकम्मल इश्क़ का दस्तूर होना चाहिए…
बशर्ते कि वो महज़ शहर नहीं,"उदयपुर" होना चाहिए…-