अगर आप अपने आप को पटाखा समझती हैं,
तो मुझसे दूर रहें, लोग मुझे आग कहते हैं।-
वो आग है, तेज है, खुशी है, नूर है,
उसकी चमक से टूटता अंधेरे का गुरूर है।
अरे! अब हम दिवाली कैसे मनाएं दोस्तों ?
हमारा प्रिय पटाखा ही हमसे दूर है।-
गलतफहमी की हद देखिए
मैने पटाखा ए दीवाली समझा
तुम हरियाणा की पराली निकली
चांद सितारे संग थे मेरे पर
तुम चन्द्रयान की सवारी निकली-
कोई रोके न
कि अब कोहराम
मचाना है
बहुत जला लिए
पटाखें...
अब बम दगाना है...-
दिवाली की रात भी ,
अजीब होती है यारो ।
😇💓😇
पटाखा वो दिखती है,
और जलते हम है ।।-
सुनो ना जरा वक़्त निकाल कर छत पर आ जाना ना,
लोग खामखां अफ़वाह फैला रहे पटाखों पर बैन है।-
सोचा तुह्फ़ा-ए-दीवाली तुम्हें पटाखा दे दूं,
लेकिन जानां पटाखें को मैं कैसे पटाखा दे दूं।-
वो जिद करती रही मुझसे पटाखों की,
मैंने सामने उसके आईना रख दिया।-
Fact,
खामोशी एक बारूद है ,
इसे मत छेड़ना ,
क्योंकि किसी भी पटाखे को छोड़ने से पहले ,
उसे जमाया जाता है❤️🤔🙏🔥-