प्रीत तुमसे लगी है, अब कहाँ जाएँ हम,
छोड़ कर घर तुम्हारा भटक जाएंगे ।
एक तुम्हारे सहारे, स्वप्न के उस शहर में
कुछ पलों के सफर में, हमसफ़र बन गए।
तुमने तोड़ी उम्मीदें, वो सपने बहुत
हम अकेले ही थे, हम अकेले रहे।
तुम बिना ज़िन्दगी से, हो गए दूर हम
फिर किसी जन्म में निकट आएंगे।
प्रीत तुमसे लगी........
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