तेरे सारे ग़म मुझपर ख़त्म होने,
मुझे भला तू कितना सताएगा..
दुनिया के निशाने पर तो मैं,
तू मेरे निशाने पे कब आएगा......-
'नैना', नैनों से तेरा इंतज़ार करती रही,
इस तरह मैं ख़ुद को बेकार करती रही.....-
"मेरे 'नैना' तेरी राह तकते हैं,
एक आप हैं ज़नाब... जाने कहाँ रहते हैं....."-
"मोहब्बत का ऐसा असर देखा है,
मैंने जमाने का सबर देखा है,
जीने का सलीका हमें आया तबसे
जबसे इन आँखों ने समंदर देखा है......"-
"इश्क़ करके क्या
सँवर गई हूँ मैं,
या सबकी नज़रों
से उतर गई हूँ मैं,
दौर-ए-हिज़्र
अंदाज़ बदले हैं मेरे
जैसे लगता है
की मर गई हूँ मैं...."-
कुछ यूँ मेरे इश्क़ के तलबगार वो होने लगे...
क़रार धड़कनों का करके नैनों में भी सजने लगे..!!-
खैरात में नहीं चाहिए मुझे वो शख्स,
जो शख्श मैंने सिर्फ दुआओ में माँगा.......-
एक झील
है तुम्हारे नैनों में
न चाह कर भी
डूब जाता हूँ मैं
उसकी गहराई
इतनी गहरी है
कि और कुछ
दिखाई नहीं देता
डूबने के बाद
नशे में चूर
हो जाता हूँ
अच्छा लगता है
नशे में चूर रहना
और तुम्हारे
नैनों में डूबे रहना-