हो मागितली मी देवाकडे भीक,
कारण मला तुझ्या सोबत आयुष्य जगायचं.......-
फिर वही पागलपन मिले
न बचपन रहा न बचपन की बातें
न होती वो शाम है न होती वो रातें..
खोया वो प्यार दुलार अपनो का
न आया रास हम को इंतजार अपनों का
न रहे वो साथी तब के हो गए वो नेता अब के
न शेष उनमें वो बात गई कहां वो ममता उनकी
जिसमें गहराई थी विशाल देख के नक्शे सभी के
मन दृवित मेरा हुआ सोचता हूं बैठ अब मैं
क्या करूं किससेे कहूं राह जो अंजान सी है
संग उसके क्यों चलूं काश मुझे कोई हल मिले
फिर वही पागलपन मिले.....-
तेरी यादें अब विस्तार लेते
जो कुछ पल और ठहर जाते,
निहारते जी भर जिन्दगी सँवार लेते।
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मुझे जानना है तो मुझसे मिलना होगा
(पुरा लेख कैप्शन में पढें)-
खुद से बात किए
जब से बिछड़े हो जाना
हर दिन हर क्षण
सिर्फ तुम्हें याद किए।-
जीन्दगी में लाखों दुःख
और तनाव झेलने के बाद
ये अनुभूति हुई कि आधे
दुःख और तनाव तो
इस बात के थे कि मुझे
दुःख और तनाव है।-
"मुहब्बत से निकला हूं, बेशक बिखर गया हूं,
मगर सच कहूं ऐ-दोस्त, मैं निखर गया हूं...
दरिया ठहर जाए अब ये, चाहे हवा भी रूक जाए,
सुकून मिलता है हर जगह मुझे, अब मैं जिधर गया हूं।
घर का रास्ता याद रहता है, सिर्फ मयखाने जाने तक,
उसके बाद खुदा जाने, मैं इधर गया हूं या उधर गया हूं।
बहुत शोर करते थे मेरे कदम पहले, मैं जब-जब उसके शहर जाता था,
अब तो साये को भी पता नहीं चलता, मैं किधर गया हूं।
एक बदनाम शख्स था मैं, इज्ज़त रास न थी मुझे,
मगर जबसे उलझनें समेटी हैं, मैं सुधर गया हूं।
मुहब्बत से निकला हूं, बेशक बिखर गया हूं,
मगर सच कहूं ऐ-दोस्त, मैं निखर गया हूं...!!"-
कभी मिल गए हम
करेंगे बाते क्या हम
या होंगे गुम आंखों में हमदम
बच्चों से चहकेंगे
या खामोश परिंदों से बैठेंगे
क्या तड़पेंगे हम
या तरसेगी कायनात लम्हे को
होश में रहेंगे
या बदहवासी में कुछ न कहेंगे
क्या कहे अलविदा
या होगा वादा फिर मिलन का
खैर मिले जब भी
मिलना हो ऐसा केसर बिखरा
चहुंओर जैसे, इनके तिनकों से
तेरे ताज सजाऊं, मल हाथों में
आ तुझे मेंहदी लगाऊं, चल थाम
मेरा हाथ अब तुझे सपना दिखाऊं-
आज फ़िर धड़कने जाने क्यों शांत सी है
चेहरे पर अज़नबी मुस्कान की लहर सी हैं
न जाने आज किसने मेरे हक में दुआ की है-