Nikhil Jain   (Nikhil)
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Joined 11 September 2019


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5 HOURS AGO

याद उनकी सताती है
गलतियां हावी हो जाती
खैर जो भी है जैसा भी
खुमारी उतर ही जाती है
चलने वाले थकते नहीं
राहें पहले भी अकेली थी
अब बस हौसले दे जाती है।।

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16 HOURS AGO

भेजा है ये पैगाम दिल से
रख, है तुझको हक
गुस्से और नाराज़गी का
मनाऊंगा तुझको ये जान ले
पीछे पड़ा ही वेताल सा जान ले

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16 HOURS AGO

ए मेरी जान
मान जा
मत रह रूठी
ये जान जा
जाती है जान यहां
आए सर पूरा जहां
जाऊं में अब कहां
ये तो बता जरा
मान जा
मेरी खता
मानता
अब तो मान जा

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19 HOURS AGO

दो सजा जो तुम ऐसी
सुबह बन जाए खुशनुमा मेरी
राते जो हो काली तेरी
भूल उनको
बन मेरे दिल की रानी

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19 SEP AT 20:07

मेरे मन में, तेरी ही छवि है अब बसी
समझूं खुद को धनी, जो तू जरा भी हंसी।
जो न मिलूं तुझसे दो घड़ी जिंदगी लगे अधूरी,
मिलूं जो तुझसे दिल की तमन्ना हो जाये पूरी।
रस्म रिवाज लगे बेगानी जब बुलाए आशना रानी,
क्योंकि मैं हूं उसका दीवाना और वो मेरी दीवानी

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18 SEP AT 9:04

निभा निभा भी कितना निभाए
कीमत में क्या खुद को भूल जाए
जब सब सुख से जीना है चाहे
क्यों हम अकेले कीमत चुकाए

छोड़ खुद के अस्तित्व को बचाए
दुनिया के सामने खुद बुरा कहलाए
जो अब भी ये न समझ पाए
कर ले कितना भी ,कीमत कोई
बड़ी ,अब वापस न झुका पाए

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17 SEP AT 19:37

देखने से मन किसका भरा है
तुझसे मिलने ये दिल अड़ा है
कहने को सजन नदिया पार है
लेकिन दूरी बस एक आवाज है
तेरे दिल से मेरे दिल की न दूरी
दिल में प्यार का बजता साज है

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17 SEP AT 11:59

नज़रों का मिलना तो बस बानगी था
खेल ये दिलों ने खेला, इश्क फरियादी था

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16 SEP AT 22:19

कभी मिल गए हम
करेंगे बाते क्या हम
या होंगे गुम आंखों में हमदम
बच्चों से चहकेंगे
या खामोश परिंदों से बैठेंगे
क्या तड़पेंगे हम
या तरसेगी कायनात लम्हे को
होश में रहेंगे
या बदहवासी में कुछ न कहेंगे
क्या कहे अलविदा
या होगा वादा फिर मिलन का
खैर मिले जब भी
मिलना हो ऐसा केसर बिखरा
चहुंओर जैसे, इनके तिनकों से
तेरे ताज सजाऊं, मल हाथों में
आ तुझे मेंहदी लगाऊं, चल थाम
मेरा हाथ अब तुझे सपना दिखाऊं

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16 SEP AT 14:53

बातो में तुमसे पार अब कहां पाएंगे
मलहम बने तुम, खुद को लूटा जाएंगे
साथ मिला अबोला, छोड़ मिटना नहीं
संग तेरे जीवन जीना, और मंशा नहीं

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