QUOTES ON #धर्म_की_दुकान

#धर्म_की_दुकान quotes

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23 FEB 2020 AT 18:30

ग़र है राम पर भरोसा, तो फिर ख़ुदा पर भी होना चाहिए।
जब दोनों हैं रब, तो फिर तेरा मेरा भी कहाँ होना चाहिए।

प्यार और नफ़रत ही तो, हर अच्छाई बुराई की जड़ है,
प्यार है तो पराया भी अपना, नफ़रत में तो भाई भी दुश्मन पाइए।

जन्म एक सा मरना एक सा, भूख प्यास सब हँसी एक सी,
फिर क्यों इस कदर हो बसर, के सबकुछ सिर्फ़ अपने धर्म में चाहिए।

धर्म कोई अपनाने की वस्तु नहीं, और न ही दिखावे की चीज है।
ग़र यह आस्था की बात है, तो फिर धर्म को साधना भी चाहिए।

लोग अक्सर कहा करतें हैं, के धरम आपस में जोड़ा करतें हैं ।
ये सच है लेकिन एक शर्त है, के धरम में कट्टरता नहीं होनी चाहिए।
-अदंभ






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26 MAY 2019 AT 10:27

धर्म क्या है

हर धर्म में सदा से दो पथ होतें है,

(1)
एक धर्म के विचार के पथ पर चलना।

यह रास्ता कठिन है और सच्चा है इसे साधा जाता है जो इस पथ का खूबसूरत पहलू है इसमें सभी से प्रेम का संदेश सबसे ऊपर होता है लेकिन अफसोस इस पथ पर चलने वाले बहुत कम है।

(2)
और दूसरा है आडम्बरों के पथ पर चलना।

यह पथ आसान है और झूठा है इसमें आडम्बरों द्वारा अपने आप को सच्चा साबित करता है और इसी में कट्टरता का जन्म होता है जो इस पथ का सबसे खतरनाक पहलू है ये पथ सबसे ज्यादा आज प्रचलित है आप जहां भी धर्म की छाँव में गलत काम देखते है वो यही पथ है।

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16 MAY 2021 AT 13:31

ये तो बड़ी राहत हुई कि गंगा में थीं लाश इंसानों की,
दोस्तों बड़ा गज़ब हो जाता कहीं होती अगर गायों की,

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शुक्र है परिंदो को नहीं पता कि उनका मज़हब क्या है...
वरना रोज़ आसमान से खून की बारिश होती...

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31 MAR 2020 AT 5:16

अटल सत्य

भूख का कभी कोई धरम नहीं होता,
और भूख का ही क्या किसी का नहीं होता।

हर उस चीज़ का जो इंसान को जिन्दा रखने में काम आती,
किसी को भी उसमें धरम की कोई आहट कभी नहीं मिला करती।

🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹
सुप्रभात दोस्तों

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23 JUN 2017 AT 16:04

हिन्दू प्रेम करता है,
मुस्लिम इश्क करता है,
धर्म की दुकान में यहाँ सब बिकता है।

विधा-त्रिवेणी

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17 MAY 2021 AT 20:22

जिस दिन हिन्दुस्तान में एजुकेशन एंड साइंस को धर्म से ज्यादा प्रथमिकता दी ज्यागी उस दिन धर्म के ठेकेदारों की दुकानों के द्वार हमसे के लिऐ बन्द हो ज्यागे धार्मिक, जातिवाद राजनीति का हमसे के लिऐ अंत हो ज्यागा फिर भारत में धर्मनिरपेक्ष राजनीति की मिशाल पेश होगी।

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5 JAN 2023 AT 20:20

कड़वा सच

देश को कमजोर करने के लिए कभी किसी बाहरी आक्रमण की आवश्यकता नहीं है,
देश में जाति व्यवस्था का होना ही अपने आप में विस्फोटक मिसाइल से कम नहीं है,

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जब जब होइ धरम के हानि,
बाढ़हि विप्र अधम अभिमानी।
सींदहि विप्र धेनू सुरधरनी,
करहि अनीति जाइ नहि बरनी।
तब तब धरि हरि विविध सरीरा,
हरहि कृपानिधि सज़्जन पीरा॥

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22 NOV 2017 AT 12:48

इन्सान अच्छा या बुरा होता हैं
कोई धर्म नहीं ।।

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