संजीव कुमार मिश्रा   (संजीव मिश्रा ✍🏻)
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Self-employment मैथिली कवि
Joined 30 March 2020


Self-employment मैथिली कवि
Joined 30 March 2020

ककरो बेटी क ईज्जत गेलय,
कियो सेकय अछि रोटी।
केहन कुकर्मी नेता बनलय,
सभ हक नियत खोटी।
एक सत्ता पाबय ल व्याकुल,
एक सत्ता बचब लेल आकुल।
छय ककरहु नहि नेक इरादा,
करत झुठ फुसक सभ वादा।
चाहे बलरामपुर हो वा हाथरस,
बनल सभ छय आई बेबस ।।
#JusticeForManishaBalmiki

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हे!गजानन चलियौ आंगन ,
मुंह में मास्क लगाक ।
पान ,फुल संग अक्षत चानन,
राखल आई सजाक।
सभस पहिने अहिक पुजब,
हे !गिरिजा केर लाल।
ऋद्दि सिद्धि के दाता अपने,
समय साल विकराल।
मुसक वाहन पर चढिक,
चलियौ हमरा घर।
कोरनटाईन रहय पड़त ,
चौदह दिन यौ सर।।

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प्रथम पुज्य मंगलकरण,गौरी सुत गणेश।
कोटि नमन स्वकारियौ,ब्रम्हा,बिष्णु महेश ।।

हम अकिंचन पातकी,नहि बुद्धि नहि ज्ञान।
नहि जानिय प्रभु पुजयक विविध विधान ।।

नहि अक्षत नहि चानन,नहि कर में अहि पान ।
नहि पुष्ष रौली मौली ,नहि वस्तु कोनो जेआन।।

उर में भरि आनल प्रभु,श्रद्दा सुमन अनेक ।
चरण में अर्पित करिअ,राखिय हमर स्नेस।।

हम अनाथ दुर्बल बहुत,अहां सबल भगवान।
सभ विघ्न हरण कय,ऋद्धि सिद्धि दिअ नाथ।।

द्वार अपनेंक ठाढ छी,हम दीन - हीन लाचार।
कर बढाय उठा लिअ,"संजीब" रहल पुकार।।

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जय जय श्री राम🚩

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तोहरे भरोसे एलियै कतहुं नहि हमहुं गेलियै
सोचिते जे करबह उद्धार हौअ भोला बाबा

केलियै नहि जप तप अर्चा,पुन्नक कहिओ चर्चा
पापक मोटा सं करिहअ पार हौअ भोला बाबा

देखबय कियो नहि बाटे,कलयुग क परलय छापे
उबडुब छय नावो बीचे धार हौअ भोला बाबा

केरोना सन काल समेलै,औषद् एखनहुं नहि एलय
लागय चहुं दिश छय अन्हार हौअ भोला बाबा

जग में नहि क्यो छय त्राता ,तोड़लक सभ रिश्ता नाता
कहुना तो गहि लै आब पतवार हौअ भोला बाबा ।।

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सभी इंसान हैं मगर
फ़र्क सिर्फ़ इतना है..
कुछ ज़ख्म देते हैं और
कुछ ज़ख्म भरते हैं
हमसफ़र सभी है मगर
फ़र्क सिर्फ़ इतना है ...
कुछ साथ चलते हैं कुछ
साथ छोड़ देते हैं
रिश्ते सभी बनाते हैं
पर फ़र्क सिर्फ़ इतना है ...
कुछ रिश्ते निभाते हैं
कुछ रिश्ते आज़माते हैं...:)

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पसरल जग में छैक केरोना
तय पर सभ बेर बाढि उठौना
जीबि रहल छी कहुना कहुना
अहां दुख बुझि करबै की ?
हम जनता सभ बुछय छी ।
पांच बरख धरि घुरि नहि एलियै
ठकि फुसला क भोटो लेलियै
काज कोनो कतहुं नहि केलियै
फेर अहां पुनि एलियै की ?
हम जनता सभ पुछय छी ।

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बहिना चलहिन पुरय आई हकार गे
मोसरामनी त्यौहार गे ना।
रहिहन सभ स सभ आई हटले ,
हरदम भीड़ भार सं बचले
नहि त उजड़ि जेतौ भरल पुरल परिवार गे
मोसरामनी त्योहार गे ना ।
कहुना चल न विध पुरेबई ,
झट द टेमी आई दिएबै
नहि त कहतै नय आयल पुरय हकार गे
मोसरामनी त्योहार गे ना ।
पहिने मुंह में मास्क लगा लें,
तखन दूरी कने बना लें
नहि त करतौ केरोना नि.श्चय प्रहार गे ,
मोसरामनी त्योहार गे ना।
जेबय मुन्नी दाई के अंगना ,
जकर आयल छय आई पहुना
गाबैत गीत करबै सभ विध व्यवहार गे,
मोसरामनी त्योहार गे ना ।।

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बिजुरी चमकि चमकि कय कड़कय ,
बरखा बरसय लागय ना ।
बिजुरी चमकि चमकि कय कड़कय ..... ।
नाचय मोर मयूर संग में ,दादुर बाजय ना
बिजुरी चमकि चमकि कय कड़कय ,
बरखा बरसय लागय ना ।
विरहक आगि तन झुलसाबय,
मन घबराबय ना हो हिया हराबय ना,
बिजुरी चमकि चमकि कय कड़कय ,
बरखा बरसय लागय ना ।
पिऊ के फोन कैल कतेक हम,सुनि नहि पाबय ना ,
हो किछु नहि बाजय ना
बिजुरी चमकि चमकि कय ...............।
श्रीमंत हमर ,हियहन्त भेल छथि
बातों न मानय ना हो ,बातों न मानय ना
बिजुरी चमकि चमकि कय ........।

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मां अपनी आलोक निखारों,
नर को नरक त्रास से वारो।
हे! जननी तुम जगदम्बा हो,
निरलम्बो की तुम अम्बा हो ।
आश और विश्वास तुम्ही हो,
भारती मां प्रकाश तुम्ही हो।
ज्ञान पुंज की कुंजी तुम हो,
धन वैभव की पुंजी तुम हो।
तुम्ही हो मैया ,तुम्ही खेबैया,
जग जननी हो जगदंबा मैया।
मां ! सभ संकट से तारों,
आज मारो या उबारो।

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