डगमगा जाती है आशाएं....
अब प्रेम में....
प्रतीक्षा ....
संभाल नहीं पातीं...।।-
साम्ब, गर्भवती स्त्री का स्वांग करते हुए
(19वीं शताब्दी में काष्ठ पर उत्कीर्णित चित्र)-
यदि सच्चा प्रेम का आधार
विवाह होता,
तो कृष्ण के साथ
राधा का विवाह होता।
वो स्थान कैसे होता
रुक्मिणी और अन्य सात रानी के?
एवं 16000 कन्याओ के स्वामी
कान्हा नहीं होते।-
राधिका का ग़ुस्सा...!💕
झूठी प्रीत नाहिं जताओ साँवरे ।
दूर बहुत है देस हमारा,
छोड़ो कलाई...राह रे...
मन की भोली,निश्छल राधा रानी ।।
जाओ हटो...तुम बंसी बजैय्या ।
यहाँ,छलिए का क्या काम रे...!!
कह गए प्रीत रीत निभा दो प्यारी,
माँगूँ भिक्षा, देदो प्रेम का तुम दान रे
तुम बिन आधा-अधूरा,कान्हा मेरा नाम रे ...
तुम भए अब द्वारिकाधीश प्रिय,
हटो...जाओ,गोकुल में
इन गईयन बीच तुम्हारा क्या काम रे!!-
आवाज़ तो मेरी सभी सुन लेते हैं,
ख़ामोशी सुनने वाला वो अकेला ही हैं।
याद तो हर कोई कर लेता हैं,
पर हमेशा याद रखने वाला वो अकेला हि हैं।
(Keshav ❤️👣)
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हे कान्हा
तुम खुद राधा बने बैठे हो और
तुम्हीं उसके ख्यालों में खोए बैठे हो
🙏🏻राधे राधे 🙏🏻-
कृष्ण सा रंग हैं मेरा,
तुम रूक्मिनी बन जाना,
द्वारका तो नहीं है मेरे पास,
तुम्हारे साथ से द्वारकाधीश बना देना...-