जब हो हाथ में फ़ोन
तो हम आपके हैं कौन-
अपना दर्द जिस कोरे कागज़ पर लिखता था
दुश्मनों में अख़बार बन कर बिकता था
जिसे सिखाता दोस्ती के मायने मैं
दोस्त वो दो चार महीने ही टिकता था-
अच्छी लगती है उसकी बचकानी बातें
अच्छी लगती है उसकी सयानी बातें
एक नई दोस्त मिली है मुझको
जो याद दिलाती है पुरानी बातें।-
कभी फुर्सत मिले तो मुझसे गुफ़्तगू करने आना मेरे दोस्त
आँखों से जुदा हो लेकिन,
दिल-ओ-जाँ से जुदा ना होना मेरे दोस्त-
नई-नई दोस्ती में वो बात कहां, रंगत कहां, वो स्वाद कहां!
दोस्ती समय मांगती है, और वक्त के साथ गहराती जाती है;
और फिर पुराने चावलों की तोह बात ही अलग है।-
अपने थे जो, उन्होंने कुछ यूँ बगावत दिखाई,
जिनसे मेरी बनी नही, उन्होंने उन्ही से यारी निभाई।।-
खुशनसीब हूँ कि हवाओं से हैं सब दोस्त मेरे
जो कभी दिए सा जलूं तो बुझाने आ जाते हैं।।-
ऐ दोस्त,
तू जो नहीं है मेरे पास।
ना तेरा कोई सवाल आया
ना ही कोई जवाब
ना तू मुझसे रूठ जाती है
ना ही मनाने आती है
क्या हमारी दोस्ती भूलना इतना आसान था..?
बस एक ग़लत-फ़हमी, और सब कुछ खतम..!
आज बस तेरी कमी है ऐ दोस्त।-
ऐसा नहीं शायर बनने के लिए
दिल ही टूटना जरूरी है........💝
हम तो योरकोट पर
आप जैसे खास दोस्तों के सम्पर्क में
आते ही शायर हो गए.........🙅-
मेरे दोस्त कुछ ऐसे हैं
ना जाने कैसे हैं
समझ नहीं पाता हूं
कि ये मेरे हैं
या फ़िर
सारे के सारे
मेरे दुश्मन के चेले हैं |
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