अंग्रेज़ी में यहा बात करे सब
अंग्रेज़ी ही चलती है
हिंदी में मैं बात करू तो
देहाती मुझें वो कहते हैं
शायद बड़े शहरों में
चलता है ऐसा ही
ऊपर उठने की होड़ में सब
भूल रहे है अच्छी बातें
जो भी दिख जाए उनको
छोटे शहरों से
उन्हें नीचा वो दिखाते है
अपने को कूल और उनकों फ़ूल बताते है
मैं नहीं बन सकता इतना मतलबी
इंसानियत मुझमे ज़िंदा है
नहीं करूंगा इसको शर्मिंदा
संस्कारो की सीख मैं लेकर
आगे बढ़ता जाऊंगा
तरक्की कर लूँ चाहें कितनी भी
गांव का मैं रहने वाला
देहाती ही कहलाऊँगा।।-
मुझे ब्राह्मी लिपि नहीं आती
और उसे.....
सुना है
ईश्वर—
आजकल
ठेठऽऽ.. देहाती भाषा
भाषा सीख रहा है...
अभी....
बिलकुल अभी..
उसने कहा
का रेऽऽ...
......... कवितवा
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# कालबेलिया #
मैं देहाती हूँ .. मुझे फ़क्र होने लगा है
शहर भर में मेरा .. ज़िक्र होने लगा है
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मिट्टी तो आज भी
सिर्फ़ गाँव की सुहाती ,
जितनी तरक्की कर लो
दिल से हम देहाती !-
दिल से तो देहाती हैं
पर जब वो
टिप टॉप बनके
सामने आती है
तो जम्हाई
लेते समय मुँह के
सामने चुटकी मार के
शहरी बन जाते हैं।-
हम छोटे शहरों से कस्बों देहात से निकले बच्चे थोड़े बड़े शहरों महानगरों में आकर आसपास की दुनिया मे कितना भी घुल मिल जाये जीना सीख जाए कहीं न कहीं उस चकाचौंध रहन सहन से अलग थलग ही होते है। एक धुरी के इर्द गिर्द दूरी बनी रहती है। शहर में शहरी तो हो जाते है पर जब किसी भी पल हमे वो मौका मिलता है वो देहाती हो जाते है। छोटी छोटी आदतें तौर तरीके जिन्हें ये शहर नही स्वीकारता वो दिल से उन्हें गलत या ओछा मान ही नही पाते इसलिए इतना शहरी दिखावा करने के बाद भी वो उन चीज़ों को कभी पूरी तरह छोड़ नही पाते। मौका मिलते ही सारी असहजता तो परे बिठा कर सहज ठेठ देहाती हो जाते है। भाषा भी एक अहम पहलू है आधुनिक परिष्कृत जैसी अवधारणाएं बनाई गयी है हमने सबको अपना लिया पर आज भी अपनी देशी भाषा मे शब्द जैसे दिल से निकलते है।
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अविरल निश्छल शास्वत अनुराग।
तरहत्थी की खूशबू का रोटी में स्वाद।।
पांव में माटी की उपटन, गले में गमछी का हार।
मेढ़ की मचान पर खिल रहा प्रेम बहार।।-
बड़े और शहराती लोग पीते होंगे
डाल्गोना कॉफी,
यहां हम देहातियों के खातिर तो
टपरी पर अदरक वाली चाय ही काफी है..!!
क्यूं चरसियों हम गलत तो नहीं..!!-
जिस देश मे हिंदी के लिये 2 दबाना पड़ता है,
उस देश को हिंदी दिवस की शुभकामनाये...!!
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माफ़ कीजियेगा,
गँवार ही हूँ,
देहाती भी हूँ,
अंग्रेजी की समझ भी कम है,
लेकिन फिर भी संतुष्ट हूँ,
खुश हूँ,
गर्व महसूस करता हूँ,
हिन्दी लिखने में,
बेशर्म भी हूँ...😜😜-