सोचा न था कभी हम भी इतना बदल जायेंगे मिलेगी वो रास्ते में बिन नजर मिलाए गुजर जायेंगे इश्क को मात दे कभी हम भी इतना आगे बढ़ जाएंगे सब कुछ खो कर ही सही हम भी जीना सीख ही जायेंगे
उस दिन जो भी हुआ तुमने उसे गुनाह बना दिया गलती हो भी गई तुमने तो उसे अपराध बना दिया मुझे तो शायद उस वक्त कुछ होश नही था पर तुमने क्यों खुद को नहीं रोक लिया था फिसल कर लब यूंही तो लब से छू नहीं गए थे तुम भी तो उस आग में बाती बन कर जले थे टूट कर मैं जब बिखर रहा था बाहों में तुम भी तो जकड़ रहे हर हरकत को बस तुम्हारी सहमति समझ भूल कर रहे थे
उस दिन जो भी हुआ तुमने उसे गुनाह बना दिया गलती हो भी गई तुमने तो उसे अपराध बना दिया सब कुछ इतना अचानक हो जाएगा कुछ अंदेशा भी नही था इस आग की लपट से होने वाली बरबादी का अंदाज नही था गर छुपा नही सकते थे इसे एक खूबसूरत याद बना कर उससे भी बड़ा अपराध तो न करते इसे अपराध बता कर
ये सफ़र यहां खत्म हो रहा है। कइयों से मुलाकात हुई कईयों से बात हुई लिखते लिखते दोस्त बने। उनके बारे में तल्लीनता से जाना दिल के गम बांटे सुकून के कुछ पल बिताए। कुछ से न बात हुई न मुलाकात हुई फिर भी जैसे उनकी लेखनी से दोस्ती हो गई रोज पढ़ते लाइक करते कभी कभार एक टिप्पणी छोड़ देते। ये जैसे एक अलग परिवार था अनजानों से भी कुछ अलग जान पहचान थी। याद आयेंगे सभी जान ने वाले और वो भी जिनसे हिचक कर जान पहचान नही हो पाई। पर यकीन है न ख्याल रुकते है न शब्द आप सब दुनिया में जहां भी लिखोगे मुस्कुराहटे बिखेरोगे और कभी न कभी तो वापस आपके शब्द हमसे टकरा ही जायेंगे। अलविदा दोस्तो।
कितना लम्बा अरसा हुआ कुछ भी लिखे हुए शायद कुछ सोचने की फुरसत भी तबियत से न मिल पाई इन दिनों में। सोचता भी क्या यादों पर भी वक़्त की परत सी जम चुकी है लिखता भी क्या इश्क की तो उम्र ही निकल चुकी है। अब तो बस वही घिसी पिटी जिंदगी है समझी समझाई जिम्मेदारियां है रटी रटाई हरकतें है। पर काफी कुछ अधूरा रहा है इस जिंदगी में जिन्हें पूरा करने की हसरत भी नही बची पर लौट कर आऊंगा जब अगले जन्म में तो शायद बहुत कुछ करना है। शायद थोड़ी गलतियां कम या फिर और भी ज्यादा।