इंसान की इंसानियत खो रही है,
ईमानदारों की ईमानदारी खो रही है,
मासूम बच्चियाँ दरिंदगी का शिकार हो रही है,
गरीब भूखे सो रहे है,
धर्म के नाम पे लड़ रहे है,
दहेज-हत्या का पाप कर रहे है,
भूर्ण-हत्या कर अपने आप को कलंकित कर रहे है,
देख रहे हो दुनियावालों सब तुम देख रहे हो,
फिर भी हो अंजान, हर चीज तुम्हें पता फिर भी हो इन सबसे अनभिज्ञ, अंजान
जैसे तुम्हें ना कुछ इसका भान।
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