आखिरकार दूरियों ने अपना काम कर ही दिया,
साल ख़त्म होते-होते,
हमारा रिश्ता भी ख़त्म कर दिया ....-
अजीब खेल है इस मोहब्बत का
अजीब खेल है इस मोहब्बत का
किसी को हम ना मिले कोई हमें ना मिला ।।-
आलम बेवफाई का कुछ इस कदर बढ़ गया,
फासला तय होता रहा और दूरियां बढ़ती गई।-
शिकायत तो है उसके लहज़े में
यक़ीनन अपना तो मानता है
खफा होना लाज़मी है उसका
अभी वो हकीक़त कहां जानता है।।-
ये दूरियां कहां मायने रखती इश्क में "साहिबा" ,
दिल-ए-मुस्कुराहट के लिए तेरी याद ही काफी है।-
समझ मेरी मजबूरियां , पहनों मेरे नाम की चूड़ियां ,
मोहब्बत की है तो निभाऊंगा, क्यों देखती है दूरियां !-
कुछ खास नहीं, तेरे मेरे बीच......,
मगर फिर भी, एक अपनापन का, एहसास है।
जितनी राहों की, दूरियां है........,
उससे, कई ज्यादा मुझे तेरी, इस दोस्ती पर विश्वास है।।-
तुमसे दूर गया था ,
कई घड़ियों बिता के आया हूं |
तुमसे दूर होने का एहसास ऐसा हुआ!
लगा जैसे कई सदियों बिता के आया हूं||-