दुनिया की नज़रों में, मैं अच्छा हो जाऊं,
मैं ऐसा क्या करूँ की तेरा ही हो जाऊं!
अब तो कौन किस का ऐतबार करता है,
मैं क्या झूठ बोलूं कि मैं सच्चा हो जाऊं!
दुनियादारी अब मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं चाहता हूँ फिर से मैं बच्चा हो जाऊं!
मैं सजायाफ्ता हूँ, बेशक, मेरी गलती है,
क्या गुनाह करूँ, जो बेगुनाह हो जाऊं!
ऐसा हो कि खुद से जो खुदको मिला दे,
काश मैं वो वैसा कोई आईना हो जाऊं!
हर अल्फ़ाज़ से तुम मुकम्मल किताब हो
मैं ऐसा क्या लिखूं जो ग़ज़ल हो जाऊं!
ख़ामोश लबों को पढ़ नहीं पाया "राज" _Mr Kashish
मैं ऐसा क्या पढूं की अनपढ़ हो जाऊं!-
क्या मैं ज़िन्दा होते हुवे भी आज फ़िर मर जाऊं ?
कितनी बार अपनी तकलीफे
चिख़-चिल्ला कर अपनो को सुनाऊं ?
कहते तो हैं सारे
जब ज़रूरत हो हमें याद करना ,
अब क्या इनके जिस्म से
एक-एक कतरा सारा ख़ून मैं पी जाऊं ?-
हम वफादारी निभाते रहें और कोई अपना दुनियादारी निभाता जिंदगी के मायने बदल गया।
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लोग आपके बारे में अच्छा सुनने पर शक करते हैं
और बुरा सुनने पर तुरंत यकीन कर लेते हैं-
माना ये family planning का जमाना है
लेकिन अपना इससे विरोध बहुत पुराना है
अपने ऊपर तो ऊपर वाले कि दुआ है
अभी हाल में ही हमारे घर में एक और बेटा हुआ है
अब कुल मिलाकर हमारे घर बेटे है चार
सदाचार, शिष्टाचार, अत्याचार और भ्रष्टाचार
सदाचार - रो रहा है
शिष्टाचार - सो रहा है
अत्याचार - बलवान है
भ्रष्टाचार - महान है
हमने आपको एक बात तो बताई ही नहीं
हमारी कई बेटियां भी है -
सच्चाई, लड़ाई, महगांई और जगहँसाई
सच्चाई - जड़ है
लड़ाई - सबसे बढ़कर है
महगांई - मुँह लगी है, चढ़ेगी
जगहँसाई - दिल्लगी है, बढ़ेगी
ईमान, शराफत, प्रेम और कर्तव्य हमारे मामा है
लेकिन आज कल हम सबके सुदामा है🤪
अब अपना भी छोटा सा परिचय पेश है
बंदे का नाम 'भारत देश' है
-Neha-
है गर चाह तुम्हें कि समझे तुम्हें, तुम्हारें सिवा भी कोई,
तो वक़्त है अब कि तुम्हें दुनियादारी ये समझनी चाहिये ।।-
मिलती नहीं कामयाबी आजकल केवल पढ़ाई से,
साथ में आनी चाहिए दुनियादारी भी कड़ाई से,
पढ़ा होगा किताबो में कि जीतता है अंत में कछुआ मगर,
बाज़ी पलट देता है असल जिंदगी में खरगोश चतुराई से।-
दुनिया है भाई ये दुनिया है , यहा कुछ पाने के लिए खोना नहीं छीनना पड़ता है । इस दुनिया में किताबी बातें नहीं चलती - जैसा बोओगे वैसा पाओगे । यहा हर एक चीज किताबों से उलटी होती है , अच्छे लोगो को यहा कुछ नहीं मिलता , इस लिए अच्छाई हमने भी छोड़ दी, अब जैसे को तैसा ।
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