२०२२ सभी के लिए अत्यंत शुभ हो...
सोच अब ख़ामोश सी होती जा रही है
कि अब ज़्यादा सोंचने को ज़ी नही चाहता,
शेष ✍️अनुशीर्षक में पढ़ें...🙏🙏-
रात में तो तुम छुप जाते हो ' दिनेश '
आखिर दिन में तो निकलना ही पड़ता है।-
ठंडे ठंडे मौसम में धूप को देखकर समझ में आया,
आखिर 'दिनेश' के बिना भी कोई कैसे रह सकता है।-
यह मेरा पहला अवसर था जब विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को करीब से जानने को मिल रहा था।
विद्यालय में बच्चों की संख्या बहुत कम थी।अधिकतर बच्चे बहुत ही निर्धन परिवार से थे।उनकी निर्धनता की गहराई अभी आपको समझ नहीं आई होगी।
मैं आपको बताता हूँ।
यहाँ स्थानीय घास से झाड़ू बनाया जाता है,जो लगभग सबके घरों में तैयार होता है।
मैंने विद्यालय में बच्चों से बोला कि बच्चों मेरे लिए झाड़ू कौन बना के ला देगा।लगभग सभी बच्चों ने हाथ ऊपर कर दिया।मैंने एक बच्चे को उठाया और बोला "बेटा आप बना के ला दोगे मेरे लिए?"उसने हाँ में सिर हिलाया।
"कितने पैसे लोगे?"
"सर वेसे ही ला दूंगा।घर में तो बहुत से हैं।"
"नहीं अगर पैसे लोगे तभी लूंगा।कल एक झाड़ू ला देना और माँ से कीमत भी पूछ के आना"।
अगले दिन बच्चा झाड़ू ले आया और 50 रुपये कीमत बताई।
मैंने झट से रूपए निकाले और उसके हाथो में देकर बोला"बेटा अपनी माँ से बोलना कि ये रूपए मेरी कॉपी और पेन के लिए हैं।मैं कल देखूंगा।ठीक है ना"
असल में मुझे डर था कि बच्चा रुपयों का दुरूपयोग न कर दे।मैं चाहता था कि बच्चा रुपयों का उपयोग केवल अपनी ज़रूरतों में ही खर्च करे।
अगले दिन उस बच्चे को पास बुला कर मैंने कॉपी पेन दिखाने को बोला तो वो डरी सहमी आवाज में बोला"सर नहीं लाया।".......................................
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तुम आंखों के उस अश्क़ की तरह हो जो,
एक बार आंखों से गिर जाए फिर
दोबारा आंखों में नही बसता।-
जबसे छोड़कर गई हो तुम, सच मानो...!
मेरी शायरी ने ही मुझे गले से लगाया है।।
दिनेश-
मुख मुझसे मोड़कर
मेरी बातों को वो मान गया
मुझे पूछता कौन हो, और
'दिनेश' को पहचान गया।-
हालातो के सहारो पर समंदर नहीं झुकते,
रूठे हुए शक्स कभी ज़मीन पर नहीं गिरते ।
बड़े शौक से गिरती हैं लहरें समंदरो में,
पर समंदर कभी लहरों में नहीं गिरते ।।-
भटके हुए बंदे को उसका देश मिल जाए।
जल्द ही तुम्हें मेरा संदेश मिल जाए।
सबके नसीब में रोशनी लिखी नहीं होती
दुआ करता हूं मैं, तुम्हें तो दिनेश मिल जाए।-
शिक्षा के मायने सिर्फ डिग्री पाना नहीं होता ,डिग्री पाकर भी जिसका बौद्धिक विकास शून्य है वो अनपढ़ के समान है।।
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