मेरे बच्चों जब खयालों में तुम आते हो
लगता है कल की ही तो बात थी
जब बैठ पढ़ाया करता था तुम्हें
क्या अच्छा क्या बुरा.. बताया करता था तुम्हें
देखो वक्त कितनी तेज चलता है
कब कितना कैसे गुजर गया पता कहां चलता है
आज ऊंचाइयों की जिस मुकाम को तुम छू रहे
वो उपहार है ईश्वर का तुम्हारे हर मेहनत के नतीजों का..
बस यूं ही खुश रह बढ़ आकाश की ऊंचाइयों को छूते रहो दोनों..
देता रहे साथ सदा भगवन.. प्रार्थना यही है सदा अपना..🙌🙌-
मेरे qu... read more
ख़्वाब अधूरे लगते हैं
बनते काम बिगड़ने लगते हैं
दूर कहीं कोई अपना दर्द में होता है
परवरिश पर जब उठती कुछ एक अंगुलियाँ हैं..
दामन में रिश्तों की मोहब्बत दिखावटी निकली
जब जरूरत पड़ी तब हर मोहब्बत नकली निकली
भरोसा खूब बना था
जब टूटा तो बिन आवाज़ के आहें निकलीं..
टिमटिमाते तारों बीच चंदा था
जब बच्चे थे हम
तब हर रिश्ता लगता अपना था...
दूरी थी
इसलिए उसमें बसा अपनापन लगता सच्चा था..-
अफसानों में अफसाना था
इश्क़.. वो ख्याल इबादत से शायद शुरू हुआ
कब छा दिल ओ जिगर पर गया जाना नहीं..
थी किसी ओर की लिखती ख़्वाइशे इश्क़ पर थी
यहीं एक खिलवाड़ मेरे दिल ने मुझसे किया
कब ये फ़िदा उस पर हुआ ये हमने जाना नहीं
अंज़ाम होता भी क्या कहां ही उसे फुर्सत थी..
इश्क़ बन एक अफ़सान अफसानों में घूम मेरा हुआ..-
Yes
from a polite personality to savage one, who waits for the appropriate time to show his or her Savagery..
खाक
सिर्फ़ माकूल समय का इंतेज़ार करवाता है
उसके बाद इंसान और जानवर में कोई फ़र्क नहीं..-
जिंदगी कुआं खोदना
या खेत जोतना नहीं होती..
जो फल मीठा होगा..
जिंदगी कहां सरल है
राम बन जिया ईश्वर ने तो दुखों को झेला
शिव बन जिया तो
कान्हा बन जिया तब भी पर विजई हुए तब..
और अंत सब गवां दिए..
जिंदगी झेलने का नाम..
यहां कुछ मीठा नहीं होता,
हर चीज़ का एक दाम है, जिसे अदा करना होगा..
यदि वो दाम पर आप खुश हो सकते हैं
जो मेहनत का फल मीठा होता है..
वरना सब मारने पर तुले हैं आपकी.. खाक सजाइयेगा इन्हें🙏🙏-
किसने कहा
मेहनत की कोई क़ीमत नहीं होती
यदि आपके पास वाक्पटुता ओर चापलूसितां है
तो आपको आपकी मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता...
🙏🙏-
रो लिया कर तू भी
बह जाने दिया कर इन्हें
ये मात्र जल ही है
जो कभी बाहर आ जाता है
धो तेरे अंदर के घावों को..
कभी तेरे अधजले दिल पर
छिड़क ठंडक पहुंचाता हैं सुकून...
हल्का कर लिया कर मस्तिष्क को
अपने बहा ये नीर...
कर लिया कर प्रेम प्रदर्शन
लगा अपनों को गले
ये लिंग पर निर्भर न हैं
अधिकार तेरा भी है इनपर..🙏🙏-
चंचल मन आतुर हो व्याकुल है
देख लकीरें चेहरे की तू क्यों बोझिल है
अहसासों को दायित्वों के दर पर गिरवी रख
अश्रुओं के समुद से उम्मीदों के कुछ पल तू ले आ
जिंदगी के झंझावतों में स्पर्श काश तेरा मिल जाता
तो बच जाता मैं दम घुटने से इस खामोशियों के भीड़ के शोर से...
आओ खामोशियों के पाव में छनछन सी झाँझर पहनाते है
आने से पहले ही इनके जिंदगी के दर्द को गीत बना गुनगुनाते हैं...🌹🌹-
राह मेरी है डगर मेरी है
इल्तिज़ा बस इतनी है
साथ न दे सको तो कोई नहीं
बस हौंसला मत डिगाना मेरा..
पार मंजिल तो पा ही जाऊंगी
बस क़िरदार मत धुंधलाना अपना..
🌹🌹-
"जीवन नाम सिर्फ संघर्ष का"
जीवन धुंध भरी घनेरी रात,
चहुँओर तिमिर मन करता उदास..
भटकाने को पथ.. आतुर यह जग संसार
देवादिदेव नहीं कहीं कोई कुछ आस..
कहीं पर मैं खो गया..शायद राह भटक गया,
नहीं सुझता हाथों को हाथ न है कोई पास..
बाबा कोई राह दिखा मेरी सिसकियों पर कुछ तो तरस खा
कहीं दूर ही सही कहीं कोई तो आस का दीया टिमटिमा..
पुकारा तो था तुझे जिंदगी के हर मोड़ पर
जरूर कहीं कोई कमी रह गई होगी मेरे मनुहार में..
बांट जोहता हूं इस घनेरी रात के अवसान का
शायद कहीं समीप ही हो कोई टिमटिमाता दीया आस का..
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