Dinesh स्पर्शी 🧑🤗   ("स्पर्शी ")
1.2k Followers · 1.4k Following

read more
Joined 19 June 2020


read more
Joined 19 June 2020

बचपन की दबंगई हंसी ठिठोली सब निकल जाती है।
जब जवानी में कांधों पर घर की ज़िम्मेदारी आती है।।
बुढापा कष्टों में बीतता है।
और पुश्तें बिखर जाती हैं।।

-



पापा को थोड़ा परेशान करती हूँ,
पर मम्मा से बहुत डरती हूँ,
मुझे रुलाते भी पापा ही हैं,
और हँसाते भी पापा ही हैं,
मुझे फसाते भी पापा ही हैं,
मम्मा से बचाते भी पापा ही हैं।।

-



यह मेरा पहला अवसर था जब विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को करीब से जानने को मिल रहा था।

विद्यालय में बच्चों की संख्या बहुत कम थी।अधिकतर बच्चे बहुत ही निर्धन परिवार से थे।उनकी निर्धनता की गहराई अभी आपको समझ नहीं आई होगी।

मैं आपको बताता हूँ।

यहाँ स्थानीय घास से झाड़ू बनाया जाता है,जो लगभग सबके घरों में तैयार होता है।

मैंने विद्यालय में बच्चों से बोला कि बच्चों मेरे लिए झाड़ू कौन बना के ला देगा।लगभग सभी बच्चों ने हाथ ऊपर कर दिया।मैंने एक बच्चे को उठाया और बोला "बेटा आप बना के ला दोगे मेरे लिए?"उसने हाँ में सिर हिलाया।

"कितने पैसे लोगे?"

"सर वेसे ही ला दूंगा।घर में तो बहुत से हैं।"

"नहीं अगर पैसे लोगे तभी लूंगा।कल एक झाड़ू ला देना और माँ से कीमत भी पूछ के आना"।

अगले दिन बच्चा झाड़ू ले आया और 50 रुपये कीमत बताई।

मैंने झट से रूपए निकाले और उसके हाथो में देकर बोला"बेटा अपनी माँ से बोलना कि ये रूपए मेरी कॉपी और पेन के लिए हैं।मैं कल देखूंगा।ठीक है ना"

असल में मुझे डर था कि बच्चा रुपयों का दुरूपयोग न कर दे।मैं चाहता था कि बच्चा रुपयों का उपयोग केवल अपनी ज़रूरतों में ही खर्च करे।

अगले दिन उस बच्चे को पास बुला कर मैंने कॉपी पेन दिखाने को बोला तो वो डरी सहमी आवाज में बोला"सर नहीं लाया।".......................................

-



कह भी दो जो भी है दिल मे,,
मत कहो यूँ बेरुखी से,
कि बताया नहीं जाता।।।।
राज़ दफ़न होते हैं दिल मे,
इस तरह यूँ दबाया नहीं जाता।।।।।

-



उसकी मोहब्बत ने सिखाया,
याद में अपनों की,
शामें मयखाने में बीता करतीं हैं,
हार जाता है प्यार,
मोहब्बतें जीता करतीं हैं।
याद में रेंगते हुए लौटते हैं महबूबा की,
घर पहुँचते ही बीवियां पीटा करतीं हैं।।
😄😄😄😄😄😄😄😄😄😄

-



शायद हम ही जल्द सज़दा हुए,
टूटे कई और भी हार थे जुड़ने को,
हम अपनी अकड़ सा तलाशते रहे,
राह में कई तार थे तैयार मुड़ने को।।।।

-



भोर होत सुनहरे धूप सा,
दिन चढ़ता सांवले रूप सा,
भरी दोपहरी सुगन्धा चंदन सा,
साँझ होती भागवत वंदन सा,
रात शीतल श्याम सा,
संतोष निज नित धाम सा,
मन मानुस मासूमियत लिए,
सब ख़ैरियत खासियत लिए,
ज्ञान ध्यान मान रखते,
शान जान प्राण रखते , 😊हमारे गांव के आकाश में😊
रखते पावन प्रकाश में,
हमारे गांव के आकाश में।।।

-



नया राग हूँ,
नया अनुराग हूँ।
नया द्वार हूँ, मैं नया कवि हूँ
नया ज्वार हूँ।
नया भोर हूँ,
नया शोर हूँ।
स्वयं अंकुरित,
स्वयं प्रफ़ुल्लित,
सुंदर दृष्टि,
स्वरचित सृष्टि,
नया रवि हूँ
मैं नया कवि हूँ

-



जाना पहचाना सा लगता है,
वो चेहरा अब पुराना सा लगता है,
जिस पर ख़र्चते-ख़र्चते,
हो गयी ख़र्च ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी अब बची नहीं,
बेवफ़ाई उसने की,
कहा हमने कि हमें जँची नहीं।।

-



थोड़ी सी मासूमियत,
जीवन जीने के लिए काफ़ी होती है।
ये चेहरा है मेरे जीवन सा,
ये चेहरा है मेरे बचपन सा,
शैतानी है पर बेईमानी नहीं आंखों में,
गुस्ताख़ी है पर गाली नहीं बातों में,
जीवन की उलझन से बाल तेरे,
निर्भीक सपाट उत्तर से गाल तेरे,
थोड़ी सी मासूमियत,
ये चेहरा है मेरे बचपन सा।।।।।

-


Fetching Dinesh स्पर्शी 🧑🤗 Quotes