जो उदास होते हैं
उदासी के दास होते हैं-
अब तो ज़मीं वालों के गले लगने से लगता है डर
ऐ ख़ुदा इस दास को छुपा ले अपने आग़ोश में-
प्रकृति की तू प्रतिनिधि, मैं पुरुष सा दास हूँ
तेरे हृदय की जलनिधि में मैं, बन कर प्यास समा जाऊँ
नित्य कर्म की तुम हो विधि, मैं पुरुषोत्तम मास हूँ
तेरे हृदय की परिधि में मैं, बन कर व्यास समा जाऊँ
-
आओ न मन के पास
कि तुम को खास बना बैठूँ
जगाओ न मन में आस
कि ख़ुद को दास बना बैठूँ-
मन का घोड़ा दौड़ा जाये, क्यों बस तेरे पास रे
जाने कैसी भूख है इसकी, जाने कैसी प्यास रे
वश में करना चाहे जो भी, वश में कर ना पाये रे
जाये ये ना द्वार किसी के, चाहे हरी हो घास रे
तुमने किया है जादू इस पर, जपता तुम्हारा नाम रे
तुमने किया है वश में इसको, डाल प्रेम की रास रे
सुनता नहीं ये बात किसी की, मन की करता जाये रे
है ये अपने मन का मालिक, बस तेरा ही दास रे
तू राणा ये चेतक तेरा, बस तू इसको भाये रे
तेरे लिये ही अभी बची है, देह में इसके श्वास रे-
प्यासा ही रहा मैं समंदर के पास हो कर भी..
आम ही रहा मैं उसके लिए ख़ास हो कर भी..
अड़चने तो बेहिसाब आई मेरी राहों में "शाश्वत"..
लड़ता ही रहा मैं नसीब से उसका दास हो कर भी..
-
न कोई वर्ण स्वर्ण है
न कोई वर्ण दास
मानवता हमारा धर्म हो
आर हम बनें धर्मदास-
#नमन
गोपाल दास "नीरज" जी
आपका जाना एक युग का जाना,एक युग का अंत होना
🙏🙏🙏🙏
नीरज जी के काव्यों को पिरोने की कोशिश 🙏
#श्रद्धांजलि
कुछ दोहे
कुछ पाती
कुछ गीत जो गाए नहीं
गीत अगीत
के संग ही यह
कारवां गुज़र गया
सात रंग नीरज के संग,होकर
बादल बरस गए
नदी किनारे
लहर पुकारे
आसावरी के राग से
जैसे खिलें हो
पुष्प पारिजात के...
©अनुपमा झा-
"उल्टी" हवा में
काहे की आस?
"सरयू" में डूबेंगे
"रगुवर" के दास।।
😊संयोगवश😊
-