QUOTES ON #दर्द_ए_दिल

#दर्द_ए_दिल quotes

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7 DEC 2020 AT 19:44

हादसा बखूबी बड़ा होने वाला था
मेरे हिस्से में हमसफ़र आने वाला था

कितना तड़प रहा है ये बाजू कबसे
कसक होने का असर होने वाला था

बिंदिया मेरे नाम के सजा किसी के सर
मेरे ही नाम का दो शरीर होने वाला था

एक रोटी के कयी हिस्सेदार होते रहे मेरे घर
मेरी आँखों में पिता सा हक होने वाला था

वो आज भी हक़ का गला घोंट सहती रही
मेरे जिस्म से वो जान जुदा होने वाला था

चश्में ने ली जगह तो चराग मद्धिम दिखा मुझे
अब उम्र से दूर... का सफर होने वाला था

हादसा बखूबी बड़ा होने वाला था
मेरे हिस्से में हमसफर आने वाला था

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31 MAY 2021 AT 3:54

जब दर्द नासूर बनकर चुभने लगता हैं, तब जिंदगी का हर जख्म कागज पर उतरने लगता है।।

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1 JUN 2021 AT 23:44

काश.....
काश!! खुदा ऐसा नियम बनाए ,, दिल तोड़ने वालो को फाँसी हो जाए।।

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ये मेरे चेहरे पर मायूसी कैसी
लगता हैं खुदा नाराज हैं
आज दिल बहुत घबरा रहा है जानी
लगता है जान जाने को हैं

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बेवजह की ग़ज़ल गा रहा हूं मैं
फ़ुर्कत के पलों को सजा रहा हूं मैं

भीगता रहा हूं इक उम्र तेरी यादों में
अब बारिश में खुद को सुखा रहा हूं मैं

तुमको जो दे ना सका वो तमाम ख़त
पढ़ पढ़ कर उन्हें जला रहा हूं मैं..

जो तू किसी और की होने चली है, मेरे होते हुए
ज़हन की आग को आंसुओं से बुझा रहा हूं मैं

गर मुमकिन हो तो ले ले दुआएं मेरे दिल की
इत्तिला कर हुस्न को कि तुझसे दूर जा रहा हूं मैं

अब जो चला हूं तेरी यादों को दफ्न कर सीने में
किधर जाना था मुझे और किधर जा रहा हूं मैं

ये हुनर क्या कम बख्शा है खुदा ने "निहार"
अपनी कहानी को हर्फ-दर-हर्फ सुना रहा हूं मैं..!!

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22 MAY 2020 AT 0:15

सपना तो हर किसी का होता है
लेकिन मुकम्मल किसी किसी का होता है !

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1 JUN 2021 AT 17:15

मेला लगा है शहर में,
जाओ जरा देखकर आओ,
एक घायल पंछी चीख रही ,
दर्द भरी है उसके आवाज में,
जाओ एक बार देखकर तो आओ,
सब खड़े देख रहे है मगर उठाने को उसे कोई नहीं ।

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14 MAY 2021 AT 9:44

सब गर्वित हैं मेरी कामयाबी से
मेरे संघर्ष से वाकिफ कोई नहीं
सब एहबाब हैं मेरी मुस्कुराहट के
मेरे दर्द से वाकिफ कोई नहीं

(एहबाब=मित्र)

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20 MAY 2021 AT 10:34

*पापा का बटुआ*

पूरे घर की रोटी का बोझ उठाता है, वो पापा का बटुआ
हर शाम खाली हो जाता है, वो आधा भरा हुआ बटुआ

वो छप्पर वाला घर मेरा, और उसकी भीषड़ गर्मी में
घूमने वाला पंखा लाया था, वो पसीने से सना हुआ बटुआ

दीवाली के कपड़े और होली की पिचकारी
हर साल नई लाता है, वो कोने से फटा हुआ बटुआ

मुझे बड़ा बनाने में, और खूब मुझे पढ़ाने में
खूब धूप में तपता था, वो भीतर से छिना हुआ बटुआ

कन्यादान तक वहीं था, पर विदाई के बाद मेरी
कूड़े में खाली पड़ा था, वो दो टुकड़ों में उजड़ा हुआ बटुआ

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दर्द-ए-दिल

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