सीने से मुझे अपने लगाता क्यों नहीं
तू प्यार करता है तो जताता क्यों नहीं
गर छोड़ के जा चुका है दूर मुझसे तो
दिल की गलियों से भी जाता क्यों नहीं
हों बेशक तेरे मेरे दरम्यां दूरियां बहुत
यादों से तू मोहब्बत निभाता क्यों नहीं
क्यूं अब तलक बचा रखा है खुद को
"एहसास" मिट्टी में मिट्टी मिलाता क्यों नहीं-
स्तब्ध सा हर शोर है
मौन मन का मोर है
ये दिन हैं दुर्दिन भाग्य के
है अंत कलि यह घोर है
विषाक्त शापित नर्क ये
देता अनर्गल तर्क ये
वाणी का संयम टूटता
कैसा अमिट है दर्प ये
मानव बना दानव यहाँ
चहु ओर अगणित शव यहाँ
प्रक्षिप्त मुस्कानों में खल
प्रासाद तक नीरव यहाँ
तन्मय तमस में खो रहे
संशय समर्पित हो रहे
संकट विकट अस्तित्व पर,
चेतो हे मन! क्यों सो रहे?...
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रिश्ते भी नाज़ुक कांच की तरह होते है
एक तिनका भी लग जाए तो चटक जाते है|-
अधूरी है या पूरी है,,तेरा होना जरूरी है
ये सब मोहब्ब्त ही तो है,,ये सब जो दूरी है
तुम कुछ कह नही पाओगे मैं सब कह जाऊंगा
तेरा मुझसे दूर होना भी,,वक्त की कमजोरी है
इल्जाम तुझपे कुछ नही मेंरा
इतनी सी तो बात है
मैं हमेसा के लिए हो जाऊंगा तेरा
पहले सांसे रुकना जरूरी है-
रात की सांसें भी तो दिन के कारण चलती हैं
जो सूरज न होता तो चंदा को रौशनी कौन देता-
कुछ तो हुआ हैं !!!
मुझे की किसी सोच में एसे पागल होते हुए देखा है ,
किसी के लिए इतना महत्वपूर्ण पहली बार होते देखा है ,
किसी की यादों में खोया पहेली बार देखा हैं ,
ये प्यार है या फिर सिर्फ एक अहेसास एय दिल बता ?
तुझे किसने रोका है !!-
जद्दोजहद बस इतनी
कि आशियाने की दीवार पे
लगी हर एक ईंट
संभाल सकू ।
'निराश'-
Udan sai ni
Ham muskil sai sikhtai hai
Pyar sai ni ham dard sai sikhtai hai
Or zindgi sai ni bs apnai honour sai ham har udan ko chutai hai-