आने को है क़यामत ,आसार हो रहे हैं,
ज़िन्दगी के किस्से ,मयखार हो रहे हैं..!
नवाब हो रहे हैं, इंसानियत के दुश्मन,
पर आदमी अदब के ,बेकार हो रहे हैं..!
हैं दोस्तों जहां में, मतलब की रिश्तेदारी,
भाई - बहन के नाते ,भी तार हो रहें हैं..!
शरमों-हया की गिरती, दीवार हर कहीं पर,
घर- घर में फूट के अब, दीवार हो रहे हैं..!
मिलते नहीं निवाले, ग़ुरबत ने जिनको मारा,
खा- खा के आदमी कुछ, बीमार हो रहे हैं..!
-
Sangeeta Singh
(संगीता सिंह)
32 Followers · 17 Following
Joined 21 June 2020
5 DEC 2023 AT 12:16
14 SEP 2021 AT 16:43
है देवनागरी लिपि प्यारी
हलंत ,चंद्र ,बिंदी वाली,
है सर्वश्रेष्ठ सम्प्रेषण की
भाषा मेरी हिंदी वाली...-
21 JUN 2021 AT 11:44
योग तन के साथ मन की साधना है
जिससे हम वास्तविक सुख और
जीवन में शांति का अनुभव कर सकते हैं ...-
9 JUL 2020 AT 13:58
स्तब्ध सा हर शोर है
मौन मन का मोर है
ये दिन हैं दुर्दिन भाग्य के
है अंत कलि यह घोर है
विषाक्त शापित नर्क ये
देता अनर्गल तर्क ये
वाणी का संयम टूटता
कैसा अमिट है दर्प ये
मानव बना दानव यहाँ
चहु ओर अगणित शव यहाँ
प्रक्षिप्त मुस्कानों में खल
प्रासाद तक नीरव यहाँ
तन्मय तमस में खो रहे
संशय समर्पित हो रहे
संकट विकट अस्तित्व पर,
चेतो हे मन! क्यों सो रहे?...
-