Niraj Amar   (Niraj amar)
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Joined 13 August 2019


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27 MAY AT 21:16

तुमने अपने प्यार में दीवाना बना दिया
जाल बुना तुमने मुझे जालसाज बना दिया।

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22 FEB AT 20:48

समय तो अच्छे अच्छों का
दिन खराब करता है
भाई आज पता चला
समय का भी समय खराब होता है।

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17 FEB AT 23:54

जब ईश्वर हमारे कण कण में है
तो हमारा मन ही तो कुंभ मेला है
कुंभ की परिभाषा तो
हमारे उच्च विचारों से है
ना कि भीड़ की भगदड़ से
ना ही लाशों की ढेरों से है
जिनका अपना खोया कहते हो
व्यवस्था बहुत अच्छी थी
जिनकी आत्मा तिल तिल जली
उनसे पूछिए क्या घर का मंजर था
ज़िंदगी को दो पैसों का हवाला देकर
ज़िंदगी को रेत सा समझते हो।

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17 FEB AT 11:09

कुंभ में डुबकी वही लगाए
जो करे मन संकल्प को दृढ़
गंगा नहाए पाप वहीं छोड़ कर आए
वरना ना करो इस तरह का ढोंग।

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17 FEB AT 10:33

कुंभ नहैले से का फायदा
जब फेरु पाप करही के बा

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24 JAN AT 10:31

खुद की खुशी में खुद गुम हो गए
लावारिश बनकर कही भीड़ में खो गए
भटककर समझ आया हम किस जहां में आ गए।

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24 JAN AT 10:23

रिश्तों से बेसहारा तो थे ही
आज तनहा भी हो गए।

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23 JAN AT 19:08

वरना जिंदगी तनहा रह जाती

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4 JAN AT 20:58

My achievement

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3 DEC 2024 AT 8:55

व्यक्त्तिव हमारी पहचान है
अपने किरदार को इतना मजबूर बनाओ
जो छु ना पाए कोई बुराई उसे।

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