भूख लगे तो उतना ही खाओ कि हजम हो सके
वरना जानवरों का कोई हिसाब नहीं होता।-
Date of birth - 1/7/1985
एक रचनाकार शब्दो के मोती को
एक माला में सजाता है... read more
औरत की कहानी न पूछ ऐ ज़िंदगी
मैने हाथों से रेत फिसलते देखा है
उसके खुश रहने की वजह ने ही उसके आजादी को गुलामी की जंजीरों में जकड़ रखा है।-
एक औरत अंदर से टूट जाती है
जैसे आत्मा शरीर से रूठ जाती है
जब उसका ही पति उसे
अपशब्दों से नवाजा करता है।-
तुमने अपने प्यार में दीवाना बना दिया
जाल बुना तुमने मुझे जालसाज बना दिया।-
समय तो अच्छे अच्छों का
दिन खराब करता है
भाई आज पता चला
समय का भी समय खराब होता है।
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जब ईश्वर हमारे कण कण में है
तो हमारा मन ही तो कुंभ मेला है
कुंभ की परिभाषा तो
हमारे उच्च विचारों से है
ना कि भीड़ की भगदड़ से
ना ही लाशों की ढेरों से है
जिनका अपना खोया कहते हो
व्यवस्था बहुत अच्छी थी
जिनकी आत्मा तिल तिल जली
उनसे पूछिए क्या घर का मंजर था
ज़िंदगी को दो पैसों का हवाला देकर
ज़िंदगी को रेत सा समझते हो।
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कुंभ में डुबकी वही लगाए
जो करे मन संकल्प को दृढ़
गंगा नहाए पाप वहीं छोड़ कर आए
वरना ना करो इस तरह का ढोंग।
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खुद की खुशी में खुद गुम हो गए
लावारिश बनकर कही भीड़ में खो गए
भटककर समझ आया हम किस जहां में आ गए।-