क्या तेजस नाम की नई-निजी-सवारी-रेलगाड़ी की शुरुआत हुई है
जिसमें अर्द्धनग्न भारतीय युवतियाँ देह उघार करके प्रदर्शित हुई हैं
सरकारी संपत्ति के निजीकरण में विलय से मुझे कोई एतराज़ नही
भारतीय सभ्यता-संस्कृति के उलट ड्रेस कोड से मुझे एतराज़ सही-
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Lyrics by me-
निजी रेलगाड़ी तेजस की परिचारिकाएँ हो रही शिकार
रेलवे यात्रियों में नित्य उठते हैं भिन्न-भिन्न निज विकार
कुछ तो पश्चिमी-परिधानों का असर हो रहा है तत्परता
रेल के सवारी को आश्चर्य-होती वायुयान सी समरसता
न जानें किसकी गलती है यहाँ कोई तो बताओ-आओ
कहाँ गये वो लोग नारी के वस्त्र पहनने की कला वालों-
नभ: स्पृशं दीप्तम
उड़ान आकाश में बेफ़िक्र भरकर घूमते रहते।
सुखोई और तेजस लक्ष्य को यूँ भेदते रहते।
दिखा हर युद्ध में वह शौर्य भारत के विमानों का,
गगन से किस तरह दुश्मन को थल पर रौंदते रहते।-
तु प्यार है,तू ही रब मेरा
तू ही आशिकी अब मेरी
तेरे बिन है यह,दिल में खूशी
है तू ही अब जिंदगी मेरी..
तेरे लिए हू मै सदा
तेरी हर खामोश दिल की हू मै दवा
तेरा हू साथ जन्मों तक कई
हू अब मै तेरा वक्त सदा...
तेजस-
वो दूर सूने आसमान में
चमक रहा है जो आखरी सितारा
हाँ वही जाना है एक दिन मुझे।
जहां घोर अंधेरा हो
और चिर सन्नाटा हो
हाँ वही जाना है एक दिन मुझे।
रात जितनी हो स्याह
तन्हाई जितनी हो अथाह
हाँ वही जाना है एक दिन मुझे।
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अशुद्धि ना हो तो शुद्ध कैसा,
रकीब ना हो तो युद्ध कैसा,
क्षण क्षण तराशना है खुद को,
अल्पज्ञानी ना हो तो बुद्ध कैसा।
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एक अधूरा पिता,
परित्यक्त पति।
अपने आप में,
सजा के रखता है एक परिवार।
अपनी जीवन भर के
तन्हाई से बुनता है
बुढ़ापे के सपने।
और पसीने की कमाई से
बनाता है एक घर।।-