इश्क़ में मिलन हों तो शरबत की तरह हो,
शक्कर पानी हो जाता है और पानी मीठा।।-
कोई ख़ास मक़सद नही है जीने का,
बस साँसों को ज़िंदगी का तज़ुर्बा हो जाए।-
और भला इससे अच्छा इश्क़ हम क्या करें,
जो भी मिला यार से उसमें गुज़ारा करें।
एक क़सक है सीने में उससे मिलने की,
वो मिले तो उससे ही इश्क़ दुबारा करें।
क्या करें क्या न करें कुछ समझ नही आता,
उसे फ़क़त अपना करें या ज़माना करें।
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ये जो आप मुझसे रंजिशें लिए बैठे हैं,
ये बताइये के कितने में लिए बैठे हैं।
ख़ता किससे क्या हो गई अब क्या मालूम,
बस ज़रा सी बात को दिल पे लिए बैठे हैं।
क्या हुस्न है क्या अदा है क्या कमाल अहा!
लोग क़तार में दीदार के लिए बैठे हैं।
#तेजस-
हमनें खाया निभाया धोखा ये भी,
देके दिल कर लिया तज़ुर्बा ये भी।
दर्द ही मिलता है इश्क़ के बदले,
जो भी हो कर लिया सौदा ये भी।
आँख छलके और रोये भी न हम,
सीखा जीने का सलीका ये भी।
ये भी जाना के वो जान नहीं थी,
बाद जाने के उसके जाना ये भी।-
कम नहीं थे हम आशिक़ी में माहिर,
और भी लड़कियां मरती थी
हमारी दीवानगी देखकर।-
अक़्सर इस तरहअ के भी मौक़े आते हैं,
आँसू भी आंख में बड़ी देर से आते हैं।
पहले देर रात तक भी न आती थी नींद ,
आजकल ख़्वाब सवेरे सवेरे आते हैं।
मैं तो कब का भुला देता पहली मोहब्बत,
वो ही ख़्वाब में अक़्सर छेड़ने आते हैं।-
अब और कुछ बदला नहीं जायेगा हमसे,
ज़िंदगी के बज़ाय हमनें उम्मीद छोड़ दी।-
अब ये न कहना के हमनें कोई बात नही मानी,
तुमनें कहा शक्ल मत दिखाना हमनें जान ही गंवा दी।-
ख़रीद लेंगे जी भर के खुशियां किसी दिन,
ज़िंदगी कब तलक़ हम मजबूरियों का बहाना करेंगे।
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