तुम होना बिल्कुल ऐसी,
जो मेरी ख़ामोशी को समझपाओ,
अगर मैं, चुप रहूं तो,
मेरे हंसने की वजह बन जाओ,
तुम होना बिल्कुल ऐसी..
सादगी तुममें ऐसी हों,
जिसे देख, तुझपे ऐतबार हों,
कितना भी, मैं रहूं रोष में,
तुझे देख दिल में प्यार हों
तुम होना बिल्कुल ऐसी...-
जब से मिला हूं तुमसे, तबसे गीत गाता हूं,
कहकर दो अल्फाज, प्रेम की रीत सुनाता हूं।
अधूरा तब तलक तक, हर हार था मेरा,
अब हार के बाद भी, मैं जीत जाता हूं।।-
शीर्षक - उलझन
क्यों रूठे हुए हो, यू हमसे,
वो मीत मेरे, कुछ बोलो ना,
यू उखड़े हुए हो क्यू हमसे,
वो प्रीत मेरे कुछ बोलो ना,
गुमसुम मन जुबां खामोश,
इस तरफ है हम, उस तरफ हो तुम,
होठों में शिकवा मन में उलझन,
मन मीत मेरे, ज़िद्द छोड़ो ना,
क्यू.........
क्यू रूठे हुए हो,.........
वक्त की तन्हाई, सौदागर बड़ी है,
उल्फत पे मेरे आड़े खड़ी है,
इन उलझनों से अब मेरे खेलों ना,
क्यू रूठे .........
सागर सी प्यासी, पड़ी मैं कबसे,
दो घूट प्याला चाहे दिल तुझे,
अब पास आ मोहब्बत के जाम घोलो ना,
क्यू.........
गुमसुम जो तुम हो, जग लागे तन्हा,
मोहब्बत की दो बात अब बोलो ना,
क्यूं रूठे.....
तेज देवांगन
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हम वो टूटें सितारें हैं, जो किसी के हों ना सकें,
रोना चाह कर भी, रो ना सकें,
क्यों हम ऐसे बिखरें हैं यार, यादों में तेरी,
जो सबके होके भी, तेरे हों ना सके।।
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काश मेरी कोई मजबूरी नहीं होती,
तो दिल से दिल की दूरी नहीं होती,
जो तू समझ जाती मेरी मोहब्बत को,
तलाक भी कभी जरूरी नहीं होती— % &-
मेरे आंखों में जो पानी है,
तेरे मोहब्बत की कहानी है।
सुना था, डूबे यहां बहुत,
डूबे जब हम यहां, तब हमने जानी हैं।-
मोला हावे जिनगी के कसम,
जब तक ले रहि सांस मा दम,
तोर दूध के कर्जा चुकाहूं मां,
मैं बेटा हर अव, तोर अंश।
चाहे रोक ले मोला नदियां पहाड़,
चाहे रद्दा मा आएं कोई बाढ़,
तोर ममता हे दाई मोर संग,
रोके नी रुकों कोई आड़।
मोला हावे जिनगी के कसम।
तेज देवांगन
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नफरत की इस दुनियां में,नफरत ही जीत जाती है,
मोहब्बत कहीं पढ़ा हुआ, किताबों में नजर आती है,
आशिकी अब गली मुंहल्लो में नीलाम होती है,
मोहब्बत करने वालों की, सर कलाम होती है।
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