"शब्द"
सब की स्याही में ना है तेज इतना,
कि हर कोई इन्हें पन्नों पर उतार सके।
कुछ बिना पढ़े ही जान लें सार इनका,
कुछ सौ बार पढ़कर भी ना समझ सके।-
जो कभी खरगोश सी तेज़ भागा करती थी,
अब कछुए से भी धीमी चलने लगी है।-
आंखों में तेज, माथे पर चिंता और लबों पर ख़ामोशी..
हाए ! वो शख़्स घूरता रह गया मुझे, आफताब बनकर..-
तुम संपूर्ण देश की आशा हो ,
तुम प्रति प्रस्फुटित भविष्य की अभिलाषा हो।
तुम साहस ,सौहार्द का मापदंड हो ,
हे वीर !तुम्हारी आन समर्पण हो ।।
तुम हो ज्वाला हर अत्याचारों की,
तुम उपचार हर अबला के घावों की।
तुम हम बहनों की राखी हो ,
तुम तेज हो हर माँ के आहों की ।।
हे शौर्य ! तुम्हारा लक्ष्य समर्पण हो ।
हे वीर ! तुम्हारी आन समर्पण हो ।।
जो प्रहार किये हमपर वो तुम भूलो नही ,
विष कोई निज शब्दों में तुम घोलो नही ।
सिर जो उठ जाये उन्हें वहीं पर तुम काट डालो,
तुम्हारे भाइयों से किया अभद्र व्यवहार तुम भूलो नही ।
उनका कृत्य अक्षम्य है
तुम्हारे हर वाक्य में गर्जन हो ।
हे वीर ! तुम्हारी आन समर्पण हो ।।🇮🇳-
जिदंगी में कुछ सुबह खास होती हैं,
जब खुशियां आस पास होती हैं।
वैसे तो दिल खुश हो उठता है उस सूरज का तेज देख कर,
लेकिन जब मेरे यार की, प्यार की और परिवार की सूरत साथ होती है,
उन सुबह की बात ही कुछ खास होती है।
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मेरे चेहेरे का आना भी तुझे देख यु पीघलता है.
जब जब तेरे तेज का दीदार होता है.-
तुझें चाहा भी तो दूर से
पास कभी ना आ सका
दिल की बात दबी रही दिल में
जुबां पर कभी ना ला सका
ये सुबह का मंजर तो देखो
कितना नशा है आज इसमें
चल रही हैं हवाऐं कितनी तेज
और मैं संदेशा भी ना भिजवा सका ।
लेखक - योगेश हिंदुस्तानी
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जीवन एक चक्र है। जब जब हम केंद्र की ओर बढ़ेंगे, जीवन की गति धीमी होती प्रतीत होगी और जब हम परिधि की ओर बढ़ेंगे तो यही गति तेज होती प्रतीत होगी।
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