तुम्हे सपने भले न आते हो मेरे
याद तो आती होगी.........
इस मोहब्बत की पहली कसुरवार जो हो तुम.......-
कद्र किया करो उनकी जो तुम्हे खोने से डरता है
तुम्हे किया पता वो तुमसे कितना प्यार करता है-
ख़ुदा बन बैठे हो क्यूँ, जब तुम्हे 'ना' साथ निभाना आता है
हँसी क्या, ख़ुशी क्या, तुम्हे तो सिर्फ़ 'हमें' रुलाना आता है
पाक मन वाला हर कोई तड़पता रहता है यहाँ
तुम्हे तो सिर्फ़ 'नापाकों' का साथ निभाना आता है
कभी तो कोई बात बने, कभी तो सुख की छाँव मिले
तुम्हे तो सिर्फ़ दुखियारे को 'और दुखी' बनाना आता है
टेढ़ी चालें चलकर, हुक्मरान बन बैठे हैं सभी
'सीधा चलने वाले' को, हर किसी को गिराना आता है
किससे गिला करेगा, किससे शिक़वा करेगा 'सागा'
जब ख़ुद 'ख़ुदा' को ही, केवल ग़रीब को दबाना आता है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
तेरे दीदार की कोई ख्वाहिश नहीं मुझे...........
मेरा रास्ता ही तुम्हारे घर के सामने से निकलता.......-
खो जाता हूँ.. जब भी तुम्हे,
अपने पास पाता हूँ।
एहसास हैं कुछ..जिनमे फ़ना हो जाता हूँ।
काले बाल जब लहराते हैं..
गोरे गाल जब शर्माते हैं..
फ़िर से ज़िंदा हो जाता हूँ।
खो जाता हूँ.. तुम्हारी आँखों में,
जब तुम्हारे लबों पर..अपना नाम पाता हूँ।
कैसे कह दूँ..हाल-ए-दिल,
मैं तो ख़ुद संगदिल हो जाता हूँ।
कहना चाहता हूँ.. ढ़ेर सारी बातें,
मगर मैं..बेज़ुबान हो जाता हूँ।
- साकेत गर्ग-
तुम्हे देख कर मेरी सांसे रुक जाती है...........
और एक तुम हो हॅसने की बात करती हो.........-
तुम्हें पता है,
Problem क्या है,
तुमने कभी मुझमें,
मुझे देखा ही नहीं,
हमेशा ओरों को,
मुझमें ढूंढा है.....-