अगर तुम चाँद होते तो मैं रोशन रात बन जाती
अगर होते कमल तो बन सबा ख़ुशबू को बिखराती
जो होते ख़्वाब तो पलकों को मैं खुलने ही ना देती
मगर तुम वो पहेली हो जिसे मैं बूझ ना पाती
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मेरी डायरी के...
पन्नों पे ये पीलापन कैसा..?
लगता है...
तुम्हारी कविताओं से मिलने से पहले ..
इन्होंने उबटन मला है..
©LightSoul-
मै ...
तुम्हारी..
दी हुई ..उस
ख़ामोशी की
पायल पहन ....
हर रोज़
नाचती हूँ ....
..
..
जिसमें अपने ...
बातों के
घुँघरू डालना ...
भूल गए हो....
तुम !
©LightSoul-
सुनो ...
मैंने अपने वक़्त की
एक पतंग बनाई है ...
..
अपने बातों के माँझे से
काट सकते हो क्या इसे .. तुम!
©LightSoul-
सुनो ....
एक बात पूछनी थी ...
मन की आँखें होती हैं क्या ... ?
अगर होतीं ..
तो शायद ... तुम भी देख सकते...मुझे ...
तुम्हारा इंतज़ार करते हुए
एक मन .. तो तुम्हारे पास भी है ... है ना ...
..
मेरे हिसाब से ..
मन की आँखें नहीं होतीं ...
मन के पास सिर्फ़ एक... मन होता है
जिससे वो सिर्फ़ और सिर्फ़ महसूस कर सकता है ..
किसी के होने या ना होने का ...
..
जैसे ..
अपने क़रीब होने ..ना होने का महसूस कर सकती हूँ .. तुम्हें मैं ...
जैसे ..
अपने क़रीब होने का महसूस कर सकते हो .. मुझे .. तुम !
©LightSoul-
मानव शरीर
पंचतत्वों से बना होता है
जल, थल, नभ,
वायु और अग्नि
पर..
मैं बनी हूँ छह तत्वों से
और मेरा
छठा तत्व हो ... तुम ..!
©LightSoul-
सुना था मैंने बचपन में
बर्फ़ के देश में एक सैंटा रहता है
लाल सफ़ेद शर्ट पहन
तोहफ़े बाँटता है
और बच्चे ख़ुश हो जाते हैं
मैं ..बचपन से अब तक
सैंटा ढूँढती रही .. मिला नहीं कभी ...
जब मिला तो पता चला
सैंटा लाल नहीं .. मेरा सैंटा नीला है ...
और वो साल के एक दिन नहीं
प्रत्येक दिन तोहफ़े दे जाता है
मुझे ख़ुश करने को
हर रोज़ ..अपने क़लम के पिटारे से
अपनी ही स्याही से गढ़ी
एक कविता ...
हाँ.. सैंटा ही तो हो.. मेरे तुम ..!
©LightSoul-