माता-पिता के साथ तीरथ करने का आनंद बहुत खास होता है।
जब भी मौका मिले लपक लेना चाहिए।-
एक वही तो मलाल था
जो मेरे दिलों दिमाग पर छाई थी
मैं आज तक उन्हें
कहां भुला पाई थी
काश मैं तीरथ जाने से
बाबा को रोक पाती
उन्हें अपने नजदीक रख पाती
उन्हें बता पाती
बाबा तेरे बिन तेरी लाडो
कितनी अकेली है-
रंग है,, सूरत है..
छिपी उस तस्वीर
मे अनोखी सीरत है.
नमन रोज कर लो..
माँ! ही चारों धाम..
माँ!ही सारे तीरथ है..
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"जो बोया तूने वही पाया है,
ये तेरा अपना किया कराया है,
चाहे ना पूजे मूरत तूने,
चाहे ना तीरथ तू कोई गया है,
माता-पिता की सेवा करके,
तूने अपना जीवन सफल बनाया है।।"
- अंजली सिंघल-
माँ
इबादत में जो नज़रें तेरे कदमों में झुक गई
यूँ लगा सारे तीरथ की मुराद पूरी हो गई-
हे हमराही, माँ से बड़ा ना कोई तीरथ
ना कोई बड़ा धाम रे..
ए दिल
मैं नादान बालक, तुच्छ मन रे..
पर ऐसा मैंने जाना है
माँ के चरणों में न्यौछावर
करके ही जीवन कुछ पाना है..
ऐसा मैंने जाना है, मैंने पाया है..✍🏼🐦-
हम क्या ही जाने व्रत,तीरथ क्या होता है,
हमने तो बस यही जाना तुम्हीं मेरी मन्नत,तुम्हीं मेरी तीरथ,तुम्हीं मेरा परमेश्वर हो.-
पहले मन को पावन गंगा जल सा बना
घूम भी आए सारे तीरथ तो क्या
मन में कोई छल न कपट रखना
ये मन ही बद्री केदार नाथ अपना
गंगा यमुना कावेरी नर्मदा
मन ही काशी कैलाश मानसरोवर यात्रा
घूम भी आए सारे तीरथ तो क्या
पहले मन को पावन गंगा जल सा बना ।
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