तिरछी तिरछी नज़र पे है कुर्बान
तेरी आंखे है या मय के प्याले.....-
अपनों की फिक्र कुछ यूँ करते हैं
उनकी हर खबर हम रखते हैं
वह चले न जाएं किसी और के दामन में
इसलिए उन पर तिरछी नज़र भी रखते हैं-
क्यूं पल पल बढ़ रही दिल में बेक़रारी, कोई तो बताए ये इश्क़ है या दिल की कोई बिमारी,
के ख़ुदा कसम तुम्हारी तिरछी नज़र और माथे की ये बिंदियां जान लेती है हमारी...-
देखो! जो करोगे पलट के, तुम युं दिल पर वार..
गवां बैठोगे दिल तुम भी, जीना युं कर देंगे दुश्वार.।-
तिरछी नजरो से हर खबर रखना, फिर भी देख के नजरे चुराना..!
कितना मुश्किल है ना दिखते इश्क़ को यूँ खुद से छुपाना..!!-
लीक लीक "गाड़ी" चलें...
लीके चलें "कपूत"...
लीक छोड़ के तीन चलें ...
"शेर , शायर और शपूत"...-
हम ज़रा देर से आए और अगर हो गई देर तो
उफ़, कातिल अदाओं और तिरछी नज़रों के बीच
गुज़र जाता वो शाम और हमे बेहद पसन्द है
इन्हीं अदाओं पर तो हाय,अपना दिल आया है
इसलिये देर से आना हमे बड़ा अच्छा लगता है
- Krishnan
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आखिर तुम ही
क्यों याद आते हो,
क्यों तुम ही,
इस दिल को भाते हो,
हम नही मिल सकते है
फ़िर क्यों
तिरछी नज़रों से यू
देख हमें तुम इतना
सताते हो!!
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यूँ तिरछी नज़रों से उनका देखना मुझको,
दिल में एक तूफ़ान मचा देता है...
मैं चाह कर भी कुछ नहीं कह पता उनसे,
और वो समझ के भी अंजान बानी रहती हैं !
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मुझे भी सिखा दो कि कैसे करिश्मे
ये हो जाते हैं एक मुस्कान भर से।
और उससे भी बढ़ कर के जादू अनूठे
किये जाते हैं सिर्फ़ तिरछी नज़र से।
बस, इक तालिबे-इल्म हूं मैं तुम्हारा,
नहीं कोई दीगर इरादा है मेरा।
मैं सीखूंगा फिर अपने घर जाऊंगा बस,
करूंगा यही पक्का वादा है मेरा!
(दिनेश दधीचि)-