आप जो नहीं आये सरहदों से लौटकर
क्या कहें क्या बीता हमारें सभी के दिलों पर ।
आप जब आयें घरों में तिरंगे में लिपटकर
सब के आँसू रह गए आँखों में सिमटकर ।
वंदेमातरम से गुंजायमान हो गया संसार
धरा पर मर मिटे आप क्या ऊंचे थे संस्कार ।
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तिरंगे की हमेशा शान रहें
दुनिया में इसका मान रहें ।
तीनों रंगों की रंगत बढ़ता रहें
चक्र विकास का चलाता रहें ।
फिदा है हम अपने तिरंगे पर
हम रहें न रहें सदा ये लहराता रहें ।-
ज़रा देखो उस दहलीज़ पर लिपटकर तिरंगे में कौन आया
गोलियां तो सरहद पर चली,माँ को बताने अब ये कौन आया
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इस लड़ाई में पराक्रम मैंने बहुत दिखाया था माँ
कई आतंकवादियों को मैंने मार गिराया था माँ ।
बस एक गोली कंधे से चीरती हुई निकल गई माँ
अपने शौर्य से आपके दूध का कर्ज चुकाया था माँ ।
चाहता तो बहुत था आपके हाथ का भोजन खाना माँ
खुशनसीबी आपकी तिरंगे से लिपटकर ही पहुँचा हूँ माँ ।
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देश के सम्मान में
उसने अपनी वफा लिख दी
न थी हवा तिरंगे के लहरने की तो
उसने अपनी सारी सांसे
अन्तिम क्षणों तक
तिंरगे के नाम कर दी-
मुझसे मिलने की तमन्ना तुम्हारी थी
मुझे देखने की चाहत सिर्फ़ तुम्हारी थी ।
देख लेना आ रहा हूँ ,तिरंगे में लिपटा हुआ
तेरी चाहत को हमेशा की तरह पूरा करता हुआ ।
बस एक ख्वाहिश है कि तुम अब रो मत देना
मुझसे मिलने की चाहत आप खो मत देना ।-
कई मुखौटे रखे हैं मेरे पास
जब जरूरत पड़ती है लगा लेती हूँ
ये परिस्थियों पर निर्भर है
कि मुखौटा कौन-सा हो
लगाकर प्रेम का मुखौटा
सभी को अपना बना लेती हूँ
मुखौटों का नही करती
गलत उपयोग अब मैं
उससे किसी के आंगन का
दीप भी जला देती हूँ
कभी रंग श्वेत का तो
कभी इंद्रधनुषी रंग
मैं मुखौटे पे अपने चढ़ा देती हूँ
कभी रंगती हूँ उसे खुशियों के रंग में
तो कभी तिरंगे के रंगों में उसे डूबा देती हूँ 🇮🇳-
देश का मान पता नहीं क्यों पर
घरेलू बीबी सी प्रतीत हो रही ...
अपनी तो है पर सहूलियत के मुताबिक
अपमानित करने में शर्मिंदगी भी नहीं हो रही...-
वो हमारे जाबांज जो हमारें लिए जान लड़ा देतें है
वो हमारें लिए हर विषम परिस्थितियों में साथ होतें है ।
परिवार उन जांबाज सैनिकों का भी होता है
जो हमारें लिए तिरंगे में लिपटकर आतें है ।-
जो तिरंगे को सम्मान न दे पाया है
वो धर्म , मजहब से ऊपर नही उठ पाया है-