"तवज़्ज़ो" चाहिए जिन्दगी को हमसे
पर हम भी जिद्दी हैं देंगे नही....-
जब जब रेज़ा-रेज़ा बिखरा तब तब मैंनें आह किया
लोगो ने भी खूब तवज़्ज़ो दी और वाह-वाह किया-
हम न रहें तो आंसू न बहाना मैय्यत पे मेरी
हंस के विदा करना मैं तवज्जो समझूँगा-
शिकायत इस बात की मत करो कि लोग आपको तवज्जों नहीं देते,
शिकायत खुद से करो कि लोग आपको ही तवज्जो क्यों नहीं देते...-
इम्तहान ज़िन्दग़ी क्या लेगी
वो तो मोहब्बत लेती है
ज़िन्दग़ी तो वैसे ही ख़फ़ा है
उसे तवज्जो ही नहीं दी है।-
ख़ामी तो आपकी अपनी बुनियाद में है
वरना शराब भी तो थोड़ी तवज्जो चाहती है..-
क़े अगर तुमने दिया होता तवज़्जो़,
ज़रा भी, मेरे जज़बातों को (2),
बा-ख़ुद़ा, ख़ुद से शिकायत कम तो होती,
मेरी, इन तन्हां रातों को...
(तवज़्ज़ो - Importance)-
और भी चाहने वाले हैं हमारे तुम्हारे सिवा "अरज",
हम सिर्फ तुम्हे ही तवज्जो देते हैं ये अलग बात है।-
आपको क्यूँ ऐसा लगता है हम तवज्जो नहीं देते हैं
जरूरी तो नहीं दिल में बसने वाले ज़ुबाँ पे रहते हैं-
तवज़्ज़ो को भी तरसे है, तगादा भी नहीं करना
अजब मुश्किल खड़ी की है,'अना'अब छोड़ भी 'ऐ दिल'-