काश तू भी इंतज़ार करें मेरी तरह..!
और मैं भी तुम्हें तड़पाऊ तेरी तरह..!!-
बेमतलब की जिंदगी का अब सिलसिला ख़त्म
अब जिस तरह की दुनियां, उस तरह के हम-
वापसी का सफ़र अब न मुमकिन होगा
हम निकल चुके हैं आँख से आँसू की तरह-
या तो परोस दर्द नया सा नई तरह,
या फिर मुझे नजात दे अब तो किसी तरह।
अरसा हुआ किसी को दरीचा-ए-शाम पे,
देखा था देखते हुए महबूब की तरह।
वो सिर्फ़ हम-सुख़न नहीं था हम-ज़बाँ भी था,
होता था वो ख़मोश भी बिल्कुल मेरी तरह।
जितनी तरह की ज़िंदगियाँ जी रहे हैं हम,
ये मौत उनको जीने की है आख़िरी तरह।
ये रास्ते इमारतें मक़्तल हैं अस्ल में,
मारे गए हैं पेड़ यहॉं पर बुरी तरह।-
मुस्कुराने की वजह नहीं मिलती
रोने की जगह नहीं मिलती
मिला करती थी तुम जिस तरह पहले
अब कभी उस तरह नहीं मिलती-
तेरा नाम मेरा नाम,
जुड़ कर बना था एक नाम।
इत्र सा महकता था वो हमारा नाम ।-
अब तुम भी उस तारे की तरह हो
जिसे देख सकते है,, चाह सकते है,,
पर पा नहीं सकते ,,💔-
जिंदगी ... आईने की
तरह है ,
यह तभी मुस्कुराएगी
जब आप
मुस्कुराएंगे ... !-
ऐ ग़म अबके तू आना तो मेरे महबूब की तरह आना
आना-जाना, आना- जाना, आना... और जाना
- साकेत गर्ग 'सागा'-