टमाटर सी ज़िन्दगी हो गई है यारों,
इतनी महंगी की हाथ ना आए,
दिखती इतनी लाल रसीली है,
चाहो भी तो साथ ना पाए।
जैसे टमाटर का जादू,
हर सब्जी पर छाए,
वैसे ही ज़िन्दगी की रौनक,
देख,रहा ना जाए।
टमाटर सड़ते जल्दी
फिर भी देखो,कितना भाव,
ज़िन्दगी जीया नही ग़र समय रहते,
तो चल देती ,खाकर ताव
टमाटर और ज़िन्दगी का,
क्या अद्भुत ताना बाना है,
एक भोजन को स्वादिष्ट बनाए,
तो दूजे का अजब फसाना है।
रंजीता अशेष
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