हमारी सब से बड़ी गलती यही हैं
की हमने अपनी जिन्दगी से भी बढ़कर तुम्हे चाहा-
पतझड़ में मुरझाए पौधों सी थी मेरी जिन्दगी,
तूने आकर इसे फूलों की बगिया बना दी,
उलझे बिखरे टूटे धागों सी थी मेरी जिन्दगी,
तूने इसे खुबसूरत मोतियों की माला में पिरो दी,
ना जाने खोयी थी मैं कब से उन ख्यालों में,
तूने आकर मेरी मुझसे ही मुलाकात करा दी,
हाँ उलझ के रह गई थी मैं दुनिया के सवालों में,
तूने आकर मेरे जीवन की हर गुत्थी सुलझा दी।
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जिंदगी का फलसफा मिला मैंने ले लिया
किसी और का इल्ज़ाम अपने ऊपर मैंने ले लिया
अब वो भी मुझे गुनाहगार समझ रहा है परमेश्वर
जिनका हर हुक्म सर आँखों पर मैंने ले लिया ।।-
नमक की तरह अपना किरदार रखो,
क्योंकि इसकी उपस्थिति महसूस नहीं होती लेकिन इसके बिना सब स्वादहीन लगता है।।-
तन्हा ही रहना मयस्सर है एे ज़िन्दगी तुझे
अब और साथ निभाना उन्हें नगवार गुज़री है-
लिखने जब बेठो ये जिन्दगी का फलसफा
दिल कहता है तू रूक जरा, तू देख जरा
वो दूर खड़ी तेरी मंज़िल है
रख होंसला तू कदम बढ़ा
आएगी मूसीबतें, गिराएगी तुझे
तू फिर होना खड़ा
क्यूँकी ...
" जिन्दगी की यही रीत है , हार के बाद ही जीत है "
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