सारी गलत फेहमियाँ दरकिनार कर
तुझे मुझसे प्यार है, तो प्यार कर
ऐसा तो नहीं कि लौट आए अब
ग़र है उम्मीद तो बैठ इंतजार कर
मैं खुद से उसकी यादों को मिटा दूँ
कुछ ऐसा मेरे तिलिस्म-ऐ-यार कर
ये आख़िरी रात वस्ल की हमारी
लौटा रही मेरी निशानी उतार कर-
मुझको जो आजमा रही है जिंदगी
ये कैसे दिन दिखा रही है जिंदगी
अभी मैं इस खेल में हूँ नया नया
ये कैसे खेल खेला रही है जिंदगी
पहले कितना आसान था सब कुछ
अब क्यों मुस्किलें बढ़ा रही है जिंदगी
जैसे जैसे जवानी आती जा रही है
बचपन की याद दिला रही जिंदगी
आलम यूं है कि तजुर्बें चाहिए, और
अभी पहला पाठ पढ़ा रहीं है जिंदगी
फ़कत तुम ही नहीं हो "परमेश्वर"
कितनों को रुला रही है जिंदगी-
यूँ तो चाहने वाले बहोत लोग मयस्सर है मुझे
शाने पे जिस के रो सकूं कोई ऐसा नहीं मिलता ll-
कुछ इस तरह से सताते हैं लोग मुझे
अब भी तेरे नाम से बुलाते हैं लोग मुझे ll-
मिलकर देखनी है, तेरी आंखे देर तक
फिर मेरे मुकद्दर में ये बात हो न हो।।-
मेरे हर हर्फ में है ज़िक्र तेरा
यार तुम मेरी मुकम्मल ग़ज़ल हो ll-
तेरी तस्वीर से चूमता हूं पेशानी तेरी
क्या करूं तुम अभी मेरे रुबरु नहीं है ll-
मेरे ज़हन में जो आया है पहली दफ़ा नहीं है
मग़र ये ख़्याल इतना बुरा नहीं है ll-
मैंने लिखी है अपनी ख़ामोशी एक पन्ने पर
तुम पढ़ोगे तो जानोगे कितना शोर है उनमे ॥-