सुबह सुबह !
ये जो रंग लाल है आज आसमान का ,
क़त्ल हुआ है ज़रूर बीती हुई रात का !-
बने यूँ एक-दूसरे के हमसफर की ,
मिसाल बन जाए ।
जमाना ऐसे याद करें हमें कि,
हमारे प्यार की लोग कसमें खाएं।।-
एक विशेष मुद्दे पर बात करना चाह रहा हूँ आपसे 🙏
जिस मुद्दे की बात करना चाह रहा हूँ वो आश्चर्य बात ही नहीं बल्कि मुझे बहुत दुःख भी हो रहा हैं😑😐😐
जिस देश में महिलाओं के लिए "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" की बात होती हों,
अफसोस की बात है आज उसी देश में बहन बेटियों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं जिनके बारे में जिक्र करते हुए शर्म भी शर्म के मर जा रही हैं, आज के युवा सामाजिक वर्ग की भाषा का स्तर ही गिरता नजर आ रहा हैं बल्कि इससे उनकी गिरीं मानसिकता का भी परिचय हो रहा हैं इसलिए सामाजिक गलियारे में न तो स्वर्गवासियों की छवि धूमिल से परहेज कर रहे हैं ना महिलाओं के सम्मान की , ऐसे लोगों को और उनकी मानसिकता क भगवान अतिशीघ्र शांति प्रदान करें क्योंकि ऐसे लोगों ना सामाजिक वर्ग के लिए हितकारी हैं ना ही इस देश के कल्याण के लिए और बल्कि यह अपनी मां के 9 महिनों के गर्भ के बोझ ही नहीं बनते सारी उम्र के बोझ बनकर रह जाते हैं, पर बेचारी उस मां ने यह सोच कर 9 महिने गर्भ में नहीं रखा होगा, ऐसे गली के कीड़े-मकोड़े की जिन्दगी जीने से बेहतर है आप जाये यहां से ताकि यह मानव प्रजाति शांति और सुकून से जीवन जी सकें। 🙏
सबको फिक्र होनी चाहिए 🙏आज मैं सुबह से बेचैन हूँ, पर कई मुद्दों पर विचार विमर्श चर्चा करना अत्यावश्यक हैं, हम तत्काल रूप से ऐसे लोगों को इस समाज बहिष्कृत करें-
माना वक़्त बुरा है पर गुज़र जाएगा
ये मौसम काफी खराब है पर बदल जाएगा
सरकार की बातों का तो पता नहीं मुझे
पर वो ऊपर वाला अच्छे दिन ज़रूर लाएगा.-
यूं ही नहीं उसने तेरा दिल तोड़ा होगा ,
ज़रूर उसे कोई पैसे वाला मिला होगा ।-
सच बताना जो हकीकत हम खुदा को दिखाते है..
क्या हकीकत में वो हकीकत होती है....?
सब सोचते है जल्दी से उठ बैठ कर नमाज़ अदा करने से वो पांचों वक़्त के नमाज़ी बन जाएंगे।
या मंदिर में घंटा बजाकर अपनी आवाज़ भगवान तक पहुंचाएंगे..!
पर भगवान को घंटा बजाकर या हड़बद वाली नमाज़ पढ़ कर जीता नहीं जा सकता।
अल्लाह सिर्फ दिल से की गई बंदगी को क़ुबूल फरमाता है।
और उन्हीं के दिल की आवाज़ सुनता है...!
हम लाख चीज़े छिपाए,खुद को अच्छा दिखाएं...।
पर अल्लाह के फरिश्ते हमारे कांधे पर हर एक पल का हिसाब रखते हैं...!!-
ज़िंदगी तू ना घबराना
तुझे तेरा रास्ता ज़रूर मिल जाएगा...
कोहरा चाहे कितना हो
या के हो तूफान कोई सरफिरा
जो मकाम मिलना है
उसे कोई नहीं छीन सकता...-
जो बिखरो कभी टूटके तो पुकारना हमें दिल से,
कि तुम्हें समेटने हर हाल में हम आएंगे ज़रूर।
हर ग़म मोल लेंगे तुम्हारे हर खुशी से हम अपने,
रिसते ज़ख़्मों पर सुकून के मरहम लगाएंगे ज़रूर।
करीब इतने हो कि समझाना भी नामुमकिन-सा है,
कोई अल्फ़ाज़ मिला किसी दिन तो बताएंगे ज़रूर।
हर रिश्ते को यूं नाम का उम्रकैद देना भी ठीक नहीं,
बेनाम ही सही पर दिल का ये रिश्ता निभाएंगे ज़रूर।
ये इश़्क की सीढ़ीयां सुना है अंबर तक ले जातीं हैं,
यहां नहीं तो वहां सही तुमसे मिलने आएंगे ज़रूर।-