हां! मैं मर्द हूँ
पर दर्द
मुझे भी होता है
जब कोई
दिल दुखाता है!!
हां! मैं मर्द हूँ
पर दिल
मेरा भी रोता है
जब कोई
अपना बनाकर
जलील करता है ..!!-
तारीफ तो बड़ी दूर की बात है...
तूम तो तोहमत के लायक़ भी नही हो...
मेरी मोहब्बत तो क्या...
तुम किसी और कि नफ़रत के लायक भी नही हो...-
बेशर्म तो हो ही गई है ये
जब नहीं आती तो सोने नहीं देती
और
जब आती है तो उठने नहीं देती-
सरे आम जलील करने की
घड़ी तो बहुत बार आई,
पर हमेशा तेरी इज्जत में
मुझे अपनी भी इज्जत नजर आई
-
ज़लील होवोगे उस एकतरफा मोहब्बत के ख़ातिर
जो किसी और के चाहत में बदनाम है।-
कुछ इस तरह ज़िंदगी ने जलील किया हमें,
हम मुद्दतों तक ख़ुदा से अपना गुनाह पूछते रहे..-
गुमा ना कर खुद पर!- हुनरबाज है तू पता है मुझे,
जलील ना कर उसको!- वो तेरी ही मोहब्बत है पता है मुझे-
तरीके उन्होंने मोहब्बत में ज़लील करने के
इसकदर आजमायें....! ग़ालिब
कमबख्त वो अपने ही वालीदो के
सिखाये सलिखे तक भूल गया...-
जलील होना भी काम आ गया
खुद्दारी ने अपना मकान बना लिया
हठी होना भी जरूरी है यहाँ
कि मुकाम हासिल करने के लिए।-
यूँ जलील करके ना लो उसका इम्तहान मोहब्बत में,
जिस दिन तुम्हें होगी,
खुद को माफ ना कर पाओगी...-