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स्वतंत्रता एक शब्द मात्र नहीं है,इसमें समाहित है-
असंख्य भावों की मंदाकिनी, वीरता का स्पंदन,
करुणा का रुंदन, कुछ अमर गाथाओं का वर्णन।
वर्षों पूर्व हम अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होकर,
एक नए युग की कल्पना में तत्पर हुए।
तन को स्वतंत्रता प्राप्त हुई पर क्या मन ने स्वीकारा इसे?
मन पर बेड़ियां लगा कर भी कैसे मनाते हो तत्व मात्र की स्वतंत्रता?
द्वेष,घृणा,लालच,दुराचार भीतर रखकर मात्र झंडे फहराने और नारे लगाने को मैं स्वतंत्रता की श्रेणी में नहीं रखती।
स्वतंत्रता सिर्फ एक दिन का जश्न,पुस्तको में पढ़ाया गया शब्द नहीं है।
यह मन का भाव है, मन से स्वीकारें इसे।
जय हिंद🇮🇳-
हे भगत सिंह ,
जानू हूँ मेंं आज चोखी बात करनी चहीजे
पर हाळात देश रा जीस्या हे बिस्या बतळासी कलम या ,
आज देश माही ऊँची ऊँची ईमारता तौ हे
पर आज थारे उम्र सरीसा रा नोजवाना मे बे ऊँचा हौसला कोनी हे ,
हाँ थारे बळिदान स्यूं म्हाके हाथ आयी आजादी
ओरू मेंं ई आजादी ने फेर गुळाम बना दीया
सामाजिक कुरीतियां , जात-पात धर्म
आपसरी मे ळडा दिया ,
अबे कठै सुखदेव , राजगुरु जिंया भाईळा कौ भाईचारौ
अख़बार , न्यूज हेड लाइन माही रोज मरे मिनखचारौ ,
खारी सोच रौ गुळाम देश यो इन ने
चहीजै भगत सिंह री सोच ,
हाँ म्हारा भीरा तने फेरु आनु पडसी ॥-
हां अब हम खुलकर लड़ेंगे।
सेना पे उठने वाले हर एक
सवाल का जवाब अब हम देंगे।
वह हमारे लिए लड़ते हैं
अब हम उनके लिए लड़ेंगे।
हर बुद्धिजीवी की अब हम
बुद्धि भ्रष्ट कर देंगे,
हथियारों से नहीं, अपने शब्दों से,
हां अब हम खुलकर लड़ेंगे।
जो देश को बदनाम करेगा,
उसको हम नंगा करेंगे।
हां अब हम खुलकर लड़ेंगे।-
दे सलामी इस तिरंगे
को जिस से तेरी शान हैं,
सर हमेशा ऊँचा रखना
इसका जब तक दिल में
जान हैं..!!-
पूरे भारतवर्ष में, जोश से और हर्ष में।
बड़े ही अभिमान से, लहरे तिरंगा॥
आजादी का पर्व आज, हर्ष में डूबा समाज।
बहेगी रग-रग में, देश-प्रेम गंगा॥
करे सब राष्ट्रगान, देश पर अभिमान।
लहरता राष्ट्रध्वज, पुष्प चढ़ाते हैं।।
नहीं कोई कम अब, भारतीय सेना सब।
शूरवीरों के तेज से, शत्रु थर्राते हैं।।
देशप्रेम की लगन, होके देश में मगन।
ऐसी सच्ची देशभक्ति, सबको दिखायी।।
बन फौजी निभा फ़र्ज, बेटे ने उतारा कर्ज।
देशरक्षा की खातिर, जान है गँवायी।।
दे अपना बलिदान, देश का बढ़ाया मान।
खा गोली सीने पर वो, अमर हो गये।।
आज हिन्द हरषाया, लाल तुझ-सा है पाया।
मातृभूमि हित हेतु, सदा को सो गये।।
गर्वित भारतवर्ष, सदा रहे यहाँ हर्ष।
प्रेम व शांति का पाठ, सबको पढ़ाया।।
वसुधैव कुटुम्बकं, का ले भाव हम।
जगतगुरु भारत, सम्मान बढ़ाये।।-
हाथ-पाव गर कट भी गए तो,
जंग फिर भी ये जारी है।
शहीद वीर जवानो के बलिदान की,
अब क़ीमत चुकाने की बारी है।
ख़ैर नहीं! तुम्हारी ग़द्दारों,
बचने की जितनी तुम कोशिश कर लो,
पाताल से भी ढूँढ लायेंगे तुम्हें,
छिपने की जो भी साज़िश कर लो।
मौत का कफ़न पहना कर रहेंगे,
हम भारत माँ के लाल है ,सुन लो !-
हम चैन से सो जाए इसलिए वो सो गया !
वो भारतीय फौजी था जो कल शहीद हो गया !!-
आज आसमाँ पर होली
और ज़मीन पर दिवाली का माहौल हैं
एक दीपक ,उनकी तरफ से भी जला देना
जो शरहद पर खड़े,अपने परिवार से दूर हैं ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
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मातृशक्ति को नमन
आपसे ही गौरवान्वित हुआ
फिर ये चमन
रजत पदक मीराबाई चानू-