सांसो का सफ़र है यह जीवन
तुम्हारे जन्मदिन पर
कहता है यह मन
तुम ही मेरी सांस हो-
ये तो इक रस्म-ए-जहाँ होती है, जो अदा होती है
वर्ना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है-
अल्बर्ट आइंस्टीन के कमरे में लगी दो तस्वीरों में से एक महात्मा गांधी की ही क्यों थी?
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ख़ुद सुकूं भी कभी-कभी
सुन लेता है इनकी आवाज़
पाने को गहराईयाँ अपने वजूद की
इनके शब्दों से होते हैं शृंगारित
हर तरह के मनोभाव
और पाते हैं साकार रूप
इस ब्रह्मांड सा
और इनकी शख़्सियत
सहेजी जाती है हर दिल में
अनेकों रूप में
आज दिल कर रहा है नज़र
तमाम खुशियाँ इस जहां की
इस शख़्सियत को-
मासूमियत की मिसाल हैं आराध्या
लिखती भी तो कमाल हैं आराध्या
बात करने का लहजा इनसे सीखिए
रखती सबका ख़याल हैं आराध्या
सबसे मिलकर ही रहती हैं हमेशा
दोस्ती का एक जमाल हैं आराध्या
जो भी करती हैं सब बड़ों से पूछकर
संस्कारों से मालामाल हैं आराध्या
तुम्हारी ज़रूरत है यहाँ सभी दोस्तों को
सभी के आँसुओं का रुमाल हैं आराध्या
जन्मदिन मुबारक "आरिफ़" की तरफ़ से
ख़ुशियों का रंगीन गुलाल हैं आराध्या-
हम दोनों के प्यार का सौगात है तू
आँखों में बसाया वह ख्वाब है तू
हम दोनों का राज दुलारा
आँखों का तारा है तू
जन्म दिन का ये लम्हा हर पल
खुशियों से भरा रहे
फूलों से महकता रहें जीवन तुम्हारा-
इब्नबतूता पहन के जूता, निकल पड़े तूफ़ान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई, घुस गई थोड़ी कान में-