प्रभात कुमार   (ûßhá pråbhàt)
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Joined 25 March 2020


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Joined 25 March 2020


मुश्किल हो गया जीना
हाल हो गया है बेहाल
तन्हा अकेले अब तो
नहीं गुजरती दिन रात
कोई न समझे दिल का हाल
आँसुओं में भींगी है मेरी रात
मुश्किल में है अब मेरी जान

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ना कोई था ना कोई है
ये ज़िन्दगी अपनी
बस तन्हा अकेली है
सुनी है आँखें कोई
ख़्वाब नहीं सजाई है

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( इश्तिराक का हिन्दी अर्थ साझेदारी )

खुशियों से अगर है
साथ मेरे ज़िन्दगी बितानी
कर लो तुम मुझसे इश्तिराक
दिल ना कभी तुम दुखाओगे मेरा
ना कभी दुखायेंगे हम तुम्हारा

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फिर भी ये सब की सहेली है
मुश्किलों में देती है सलाह
कभी हँसाती है, कभी रुलाती है
ठोकरों से गिर ना जाए
संभालती है यही ज़िन्दगी
कभी-कभी ठोकरों से गिरा कर
अगाह करती है यही ज़िन्दगी

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मेरी ज़िन्दगी भी
उनके साथ मुस्कुराना था
एक साथ हो ना सके
ज़िन्दगी मेरी
मुस्कुरा भी न सकी
तन्हा अकेले ग़म में डूबे
टूट कर बिखर गए

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ख़त जो तुमने मुझको लिखा
मुझको मिला जिसमें तुमने
अपने दिल का हाल लिखा
आँसुओं से भरी जो रातें
तुम्हारी बीती
उसका फरियाद लिखा
तेरे ख़त में मेरे दिल को
बेहाल किया
तुमसे मिलने को बेताब हुआ

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दिल में जागी है
उनको देख दिल
मे बेताबी है
मिलन की प्यास
आधी अधुरी है
उनके भी दिल में
प्यार जागी है

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( क़याम का हिन्दी अर्थ ठहरना )

क़याम मुश्किल है
उनकी ज़िन्दगी में
मुझे छोड़ वो किसी
और को चाहती है

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ख़फ़ा ख़फ़ा सी न
जाने क्यों है ज़िन्दगी
तन्हा अकेला रह गया
उदासी भरी है मेरी
सुबह शाम ज़िन्दगी में

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सुनो कह दो तुम भी मुझसे एक बार
करती हो न तुम भी मुझसे बेइंतहा प्यार

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