सपना साझा कर लेते हैं
आज की रात तुमसे मिल लेते हैं
कुछ बातें तुमसे कर लेते हैं
कुछ बातें तुम्हारी सुन लेते हैं
प्यार की ए बी सी डी पढ़ लेते हैं
ख़ुशियाँ अपनी भी ज़िन्दगी में भर लेते हैं-
एल आई सी का अभिकर्ता हूँ
patna.prabhat80@gmail.... read more
बख़्शिश मत दे मुझे
तू अपनी बातों का
बस तू मिलने मुझसे
आजा
तेरे इंतज़ार में हूँ यहाँ
ऊपर तन्हा चाँद
नीचे मैं हूँ तन्हाई में
रात का अँधेरा
बढ़ रहा है धीरे-धीरे
देर ना कर तू आजा-
( नाक़िस का हिन्दी अर्थ दूषित )
किसने कहा
हम तुमसे मिलने आए
तो नाक़िस हो रहा है
माहौल यहाँ का
वो कुछ न जाने
बस बातें ऐसे ही बनाए
लोगों को आपस में लड़बाएँ
माहौल वही नाक़िस कर-
सूखी धरती कैसे पेट की आग बुझाए
जब तक बरसे ना बदरिया कैसे
खेतों में फसलें लहलहाएँ
कांट कर हरे भरे वृक्षों को
कर दिया तबाह हमने प्रकृति को-
समझ सको तो समझ लो ये बात
इश्क़ रूह का सुकून है
इश्क़ ही दो दिलों का मेल है
नज़रें तो कितनों से मिलती है
पर इश्क़ सभी से होता नहीं है
जिससे भी होता है दिल को इश्क़
बस दिल उसके ही ख़्यालों में खोया रहता है
ज़िन्दगी के ख़्वाब बुनता उनके साथ
बस हल्की ही मुस्कान से
जीत लेता वो सारा जहान-
रात से बात चल रही है
मेरी ज़िन्दगी मुस्कुरा रही है
याद उनकी बहुत आ रही है
खाली बाहें उनको ख़ोज रही है
पास अगर वो आज होती मेरे
रात भी बहुत मुस्कुराती मेरी
फिर बात रात से कहाँ होती
वो तो सिर्फ़ बात मेरी सुनती-
नया स्कूल नए दोस्तों से रोहन की होगी आज मुलाक़ात रोहन बहुत ख़ुश था। मन ही मन मुस्कुराते हुए वो चुपचाप अपने क्लासरूम की तरफ़ बढ़ रहा था। क्लासरूम के अंदर घुसते हैं वो क्लास रूम की सजावट देख कर बहुत ख़ुश हो गया। दीवारों पर स्लोगन लिखे हुए थे सुंदर-सुंदर चित्र बने हुए थे फूलों से सजाया हुआ था। वो एक अलग ही दुनिया में ख़ुद को महसूस करने लगा। नया बच्चा होने के कारण उसे आगे की सीट पर बैठाया गया था। मास्टर साहब के आने पर उसका परिचय और बच्चों से कराया गया। घर आकर वो अपने मम्मी से क्लासरूम की सजावट के बारे में बहुत देर तक बातें करता रहा। मम्मी उसको ख़ुश देखकर वो भी बहुत ख़ुश हो गई थी।
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ये बारिशों का मौसम
गरीबों को डराता है बहुत
ना आए तो
किसानों को रुलाता है बहुत
सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू
पहली बरसात की बूंद
जब गिरती है धरती पर
मन को भाता है
मन को लुभाता है
नौजवानों को बहुत-
सरे बाजार हाथ थाम कर प्यार का इज़हार किया था।
उसके प्रति चाहत ही मेरी कुछ ऐसी थी।
ज़िन्दगी उससे ही मेरी गुलज़ार होनी थी-