ऐसा नहीं कि कुछ जताया है हमने
चार-पाँच साल से तेरे होकर
हर मुसीबत में साथ निभाया है हमने
ऐसा नहीं कि किसी को गिराया है हमने
अगर तनख्वाह भी ली है महीने की
तो मालिक का कुछ-ना-कुछ बचाया है हमने-
अपने परिवार में कभी इतना भार न उठाया,
जितना तुमने ससुराल में आके सीखा और सिखाया |
शादी करके आयी थी, कोमल से हाथों से
तुमने हमेशा घर में हाथ बटाया |
सास, चाची, ननद और लोगों के ताने ,
तुम्हे कुछ भी चुभने न पाया |
दिन रात मेहमानों की खातिरदारी में
कितना समय लगाया |
हर एक के हुक्म पर, उन्हें चाय बनाकर पिलाया |
दिन की कड़ी धूप में, है पापड़ तुमने सुखाया |
वहीं शाम की ठंडी छाँव में, पौधों को पानी पिलाया |
हर घंटे की मेहनत ने तुमको कभी ना पीछे हटाया |
दर्द महसूस करके भी तुमने, हमको कभी ना जताया |
सबकुछ अच्छा हो, तुमने शायद प्रण था ऐसा बनाया |
बच्चों की रक्षा के लिए, हर एक कदम उठाया |
रोज़ रात को गरम दूध देकर ही तुमने सुलाया |
नारी के रूप में भगवान ने, है तुमको बनाया |
तुमने अपने ममत्व से, पूरे आँगन को महकाया |
हे भगवन ! तुम्हे शत शत नमन जो ,
ऐसी माँ से हमने जन्म है पाया |
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जितना दिखाया और बताया जाता है,
उतना भी आसान नही होता,
जिम्मेदारी निभाना,अपने सपने पूरे करना और हाँ उसीमें जीना-
हक नहीं था मुझे उसपर,
फिर भी हक जताया है।
यही तो मेरी गलती थी कि,
मेने उसे सताया है।
बोलता है कि यार सोरी ना बोलो तुम,
उसे कौन समझाए कि बड़ी सर्मिंदा है हम।-
दर्द तो बहत है मेरे जिंदगी में,
पर अब जताना लाज़मी नहीं समझती मेें..-
जताया नहीं इन्हें निभाया जाता है ,
रिश्तों की इस एहमियत को समझें..-
जो गुस्सा जताया नहीं करते,
वो गुस्से में अक्सर रो दिया करते हैं !!-
फ़िक्र थी तुझे भी मेरी
ये कभी तूने दिखाया नहीं
इश्क़ था तुम्हे भी मुझसे
पर तूने कभी बताया नहीं !-
कुछ ऐसे भी प्यार जताया जाए
प्यारी माँ को लोरी गाकर सुलाया जाए।।-