कहाँ जख्म खोल बैठा पगले ,
ये नमक का शहर है 😓😓-
कहाँ क्यों जख्म खोल बैठे तू पगली
यहांँ सारे अपने दोस्त हैं पगली
☺☺☺☺☺☺-
दिखाओ ज़ख्म ना अपने ,किसी को समझ के अपना।
सभी के हाथ ना मरहम.....नमक हर घर मे होता है ।।-
जिन्दगीभर के लिए साथ मांगा था उसका
बीच राह में छोड़ कर चली गयीं
बहुत ढुडा़ मोहब्बत की गलीयों मे उसे
पर यारों कही मिली नही
हिमान्शु अग्रवाल-
अपना जख्म अपने तक ही सीमित रखना,
यहां लोग मरहम लगाने कम, कुरेदने ज्यादा आते हैं।-
जिसकों मैने जिन्दगी माना
उसने ही मुझको छोड़ दिया
एक प्यारा सा दिल था मैरें पास
उसको भी उसने तौड़ दिया
हिमान्शु अग्रवाल-
तेरी यादे ही तो तड़पा रही हैं मुझकों
तुझे भुलने की कोशिश कर रहा हुँ
फिर भी ना जाने क्यो याद आ रही हैं मुझकों
हिमान्शु अग्रवाल-
क्यो गुलाब को ही
प्यार की निशानी बताया जाता हैं
हिमान्शु अग्रवाल-
अपने ज़ख्मों की नुमाइश
किसी से न करना
लोग मरहम नहीं लगाते,,
मज़ाक बनाते हैं !!-