है वो एक ऐसी मुसलमाँ,
जो सिर पर अपने,
हिजाब नहीं पहनती है।
तारीखें आती है उसकी तो,
दर्द थोड़ा-सा भूलने के लिए,
वो मस्जिद चली जाती है।
बाहर न जाने कितनी बेड़ियां है,
लेकिन वो उन्हें,
अपने अंदर न आने देती है।
हाँ वो एक ऐसी मुसलमाँ है,
जो खुलेआम,छोटी सोच तले,
जींस पहनती है।
सारी किताब कुरान की,
रट डाली उसने,
और लोग कहते है की उसने,
कभी कुरान नहीं देखी है।
-
हर कोई मुझपर,
आज हँस रहा था,
सिर्फ़ इसलिये,...
क्योंकि मेरी स्कर्ट पर,
एक लाल दाग था।
-
हमारा इरादा अब कुछ ऐसा है कि...
जीत से पहले रुकना नहीं,
और किसी की छोटी सोच के आगे झुकना नहीं..!-
मजबूत इमारत की वो जर्जर कहानी हो गई
रक्तरंजित जिस्म मकां की निशानी हो गई
किसको पुकारे मरहम की उम्मीद में
हर किसी में जब गिद्ध की हो आत्म बस गयी
सिसकियां अब उसकी संगीत लगने लगी
इस हद तक इंसान की इंसानियत मर गयी।-
साल बदल रहे हें सिर्फ
बदल नहीं रहें हे लोग
सोच में हीं लगी हे मोच
ना जाने कब बदलेंगे लोग
अपनी ये छोटी सोच-
छोटी सोच लोगों की
पहन कर निकलूं साड़ी तो मिलती है ताली,,,,,
पहन कर निकलूं छोटे कपड़े तो मिलती है गाली !!!!!-
रात सारी गुजरी इन हिसाब में
की महोबत होती किस हिबाज में
पड़ लिख कर भी लोगो की सोच छोटी हो उसपर अड जाती है
जिसके वजह से प्यार की उम्र छोटी पड़ जाती है
खूब पड़ी देखी हर किताब मैने
किरदार राजा रानी में कर जाते है
प्यार के दर्द में दोनों मर जाते है
नाम राजा रानी का होता है
लिखने वाला/ वाली वो खुद होता है
बस यही छोटी पर उनकी बड़ी बात है
प्यार से बड़ी अपनो के लिए सबसे उपर अपनी जात है
-
मुझे तुम्हारी बातों से
परहेज़ नहीं है,
मुझे सोच के
बौनेपन से दिक्कत है🍁-