याद रहे...,आने वाला समय बीते हुए समय से अच्छा होगा। -
याद रहे...,आने वाला समय बीते हुए समय से अच्छा होगा।
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कि, एक अंधेरा सा बाहर और मेरे अंदर है,न जाने क्यूं, मगर वो काला सा समंदर है,मेरी राते कुछ बेचैन सी हैं इसकी वजह से...क्योंकि आंख गर खुली रहे तो डर और बंद हो तो बवंडर है...। -
कि, एक अंधेरा सा बाहर और मेरे अंदर है,न जाने क्यूं, मगर वो काला सा समंदर है,मेरी राते कुछ बेचैन सी हैं इसकी वजह से...क्योंकि आंख गर खुली रहे तो डर और बंद हो तो बवंडर है...।
कि, पिता जी तो हस्ती ही बड़ी हैं...तभी तो सारी मुश्किलें सहमे खड़ी हैं...अगर ये हिल जाएं तो सब बिखर जाए..क्योंकि यही छत और यही कड़ी हैं....!! -
कि, पिता जी तो हस्ती ही बड़ी हैं...तभी तो सारी मुश्किलें सहमे खड़ी हैं...अगर ये हिल जाएं तो सब बिखर जाए..क्योंकि यही छत और यही कड़ी हैं....!!
कि, सब कुछ जो तुम्हे लगता है तुम्हारा है..,वो असल में भ्रम का इशारा है...! -
कि, सब कुछ जो तुम्हे लगता है तुम्हारा है..,वो असल में भ्रम का इशारा है...!
मेरी मां का आंचल बहुत बड़ा है,शायद तभी मेरी सारी कमियां, खामियां उसमें छिप जाती हैं..! -
मेरी मां का आंचल बहुत बड़ा है,शायद तभी मेरी सारी कमियां, खामियां उसमें छिप जाती हैं..!
कि, ये जो मेरी जिन्दगी में खामोशियों का शोर है...,इन पर सिर्फ़ उसका ज़ोर है...!! -
कि, ये जो मेरी जिन्दगी में खामोशियों का शोर है...,इन पर सिर्फ़ उसका ज़ोर है...!!
चिंता से चतुराई घटे, दुःख से घटे शरीर...,लाभ से लक्ष्मी घटे कह गए संत कबीर...! -
चिंता से चतुराई घटे, दुःख से घटे शरीर...,लाभ से लक्ष्मी घटे कह गए संत कबीर...!
कि, एक तुम कमाल...दूजा तुम्हारा ये शहर बवाल...!जो आए सो खो जाएग़ज़ब ये जंजाल...!! -
कि, एक तुम कमाल...दूजा तुम्हारा ये शहर बवाल...!जो आए सो खो जाएग़ज़ब ये जंजाल...!!
कि,बिखरी काली रात मे चाँद की लाली चहुँओर है...और तुम्हारा ये बिंब नदी में जैसे होने वाली भौर है...! -
कि,बिखरी काली रात मे चाँद की लाली चहुँओर है...और तुम्हारा ये बिंब नदी में जैसे होने वाली भौर है...!
कि,मियां सब वक्त की ही बात है,तभी तो जो कल हमारे साथ था...वो आज किसी और के साथ हैं..! -
कि,मियां सब वक्त की ही बात है,तभी तो जो कल हमारे साथ था...वो आज किसी और के साथ हैं..!