ना जाने क्यूँ मेरे दुख और दर्द , इतना ज्यादा क्यूँ सरमाते हैं......
जब भी अपनों के साथ होता मैं, तो जाने कहाँ छुप जाते हैं ......
फिर सब सोचते कि खुश हूँ मैं, और वो अपना दुखड़ा सुना जाते हैं...
उन सबके जाने के बाद, ये दुख और दर्द मुझे फिरसे सताते हैं.....
ना जाने क्यूँ मेरे दुख और दर्द, इतना ज्यादा क्यूँ सरमाते हैं......
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