मनुष्य हो तुम।
इस दुनिया की रचना तुम्हारे लिए हुई है।
जो तुम चाहो तो धरती आस्मा झुक जाएंगे तुम्हारे आगे।
बदल देंगी नदियां अपना रास्ता, तूफान भी थम से जाएंगे।
और जो ठान ली तुमने तो ये चांद भी आसमां से उतर धरती पे आएगा।
यूं ना भूल जाओ अपने इस पराक्रम को इन छोटी बातो में।
याद रखो ये शब्द मेरे - मनुष्य हो तुम।-
सुनो न...
थी तम्मना साथ उनकी गुफ्तगू हो इश्क़ की
मगर शब ए वस्ल चांद से मेरा झगड़ा हो गया..
मुक़द्दस इश्क़ मुकम्मल ना हुआ मेरे नसीब में
उनसे इश्क़ करते तो इक ज़माना हो गया..
दिल में जश्न-ए-तरब चराग़ाँ नहीं होता
अब बेज़ुबान इश्क़ मेरा मुझसे रुठ कर बेवफ़ा हो गया..
उफ्फ़ मुझसे ये कौन सा जुर्म क्या सितम हो गया..
सारी ख्वाहिशें दफ़न हो गई मेरी
और हिज्र वाली रात मेरा चांद मुझसे खफ़ा हो गया..
❤️❤️❤️-
सुनो न...
मेरी महफ़िल में आकर रौनक बढ़ाने वाले...
क्या तुम मेरे कोरे लफ़्ज़ों के अल्फ़ाज़ बनोगे।
मेरे एक आंसू पर पूरी कायनात बदलने वाले...
क्या तुम ताउम्र मेरी खुशीयों की वज़ह बनोगे।
मैं तो फना हो जाऊं तुम्हारी इक झलक देखकर...
क्या तुम मेरे करवा चौठ का चांद बनोगे।
अज़ल से कर रही मेरी रूह इंतजार-ए-इश्क़ कि...
सुनो न...
क्या तुम मेरी मांग अपने इश्क़ से सिंदूरी करोगे।
❤️❤️❤️-
चाँद ज़मी में आये तो रात हंसी हो ,
तुम साथ नहीं तो क्या ख़ुशी हो ,,
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पूरे चांद को देखे भी एक ज़माना हो गया,
कभी छत पर आके मुस्कुरा भी दे ज़रा !-
फैला हुआ 'चांद'
एक 'आसमा' पे
मैला हुआ है 'जमी'
नज़रो में 'किसके'
क्या है?
'कमी' है
है जानता 'हर' कोई
करते है 'सब'
वो भी करता ही होगा
हर रात एक 'खुदकुशी'
कहने को 'सब' साथ
'कोई' नही है
हैरान हर 'आदमी'-
पानी भर कर आंखों में
तेरी खुशियों की खातिर
अपने प्यारे तारों को
चांद ने फेंक दिया होगा।
- सुप्रिया मिश्रा-
महबूबा नहीं है काेई हमारी,इसलिए चाँद में आज भी मामा ही दिखते है
ननिहालप्रेमी😍😂-