नज़रें नक़ाब में रखकर क्या छुपा रहे हो
पहले कहाँ थी शर्म जो अब घबरा रहे हो
पर्दे के पीछे कौन कैसा किसको पता
सरेआम तुम हमें टोपी पहना रहे हो-
नज़रें नक़ाब में रखकर क्या छुपा रहे हो
पहले कहाँ थी शर्म जो अब घबरा रहे हो
पर्दे के पीछे कौन कैसा किसको पता
सर-ए-आम ज़ानी तुम टोपी पहना रहे हो-
कल एक मोड़ पर हम टकरा जो गए,
रूबरू होते ही नजाने वो क्यों घबरा से गए..?
-
घबरा के कहते हैं मर जायेंगे हम,
मर कर भी किधर जायेंगे हम,
जीना यहां मरना भी यहीं है हमको,
जी ना लगा तो कहां ले जायेंगे हमको,
इस प्रदूषण भरी दुनिया में जीना है,
इस जहर भरी हवा को ही पीना है,
एसे तो मर जायेंगे हम, जो मिला है,
अब उसी के सहारे जीना ही हमें है,
पेड़-पौधे उगाकर, स्वच्छ बनाना है,
साफ हवा को लाना है, ना रूकना है
-
हर आहट पर जग जाती हूँ
झट किवाड़ पर आ जाती हूँ
पिया आकर लौट ना जाये
ये सोच घबरा जाती हूँ-
न घबरा के,न झुँझला के,न रो-धो कर करेंगें
हम ज़िन्दगी का सामना हँस कर करेंगें
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊-
बेरुखी में भी हमे तो प्यार नज़र आता है,
वो बात अलग है कि कभी कभी दर्द हो जाता है,
तकरार में भी हमे इक़रार नज़र आता है,
वो बात अलग है कि कभी कभी इज़हार हो जाता है,
दूरियों में भी हमे सिर्फ इंतज़ार नज़र आता है,
वो बात अलग है कि कभी कभी दिल मुलाक़ात चाहता है,
आँखों में भी हमे इंकार नज़र आता है,
यूँ तो दिल बस उसे सिर्फ उसे ही चाहता है
वो बात अलग है की दिल कभी कभी घबराता है II-
🍀
मेरी #तन्हाइयों तुम ही लगा लो_____मुझको सीने से
कि मैं #घबरा गयी हूँ इस तरह_____रो रो के जीने से ___!!💔!!
-
रात के अंधेरों से मैं बहुत घबरा रहा हूं
फिर भी सितारों से उलझता जा रहा हूं।-